उत्तर प्रदेश के बदायूं कांड (Budaun gangrape & murder ) को लेकर लापरवाही का मामला सामने आया है. दरअसल उघैती थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक गांव में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से कथित सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले की जांच में पुलिस पर लग रहे लापरवाही के आरोपों के बीच यह बात सामने आई है कि स्वास्थ्य विभाग ने महिला के शव की पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी नहीं कराई.
बदायूं के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. यशपाल सिंह ने इस संदर्भ में पूछे जाने पर कहा कि प्रशासन ने वीडियोग्राफी कराने के कोई भी निर्देश नहीं दिये थे, इसलिए शव की पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी नहीं कराई गई. यदि प्रशासन उन्हें निर्देश देता, तो वह अवश्य ही पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराते.
आपको बता दें कि महिला के शव का पोस्टमार्टम मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा गठित तीन डॉक्टरों के पैनल ने किया था. जानकारों का कहना है कि महिलाओं से बलात्कार अथवा अन्य संदिग्ध मामलों में पैनल द्वारा की जाने वाली पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाती है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर विशेषज्ञ पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी देखकर अपनी राय दे सकें.
उल्लेखनीय है कि तीन जनवरी को उघैती थाना क्षेत्र के एक गांव में मंदिर गयी 50 वर्षीय एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. परिजनों ने मंदिर के महंत सत्य नारायण और उसके दो साथियों पर बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया है, जिसके आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया था. शव का पंचनामा भरने, मुकदमा दर्ज करने एवं पोस्टमार्टम कराने में अत्यधिक देरी की गई.
इस मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है. राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी ने इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए थे.
Posted By : Amitabh Kumar