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UP Panchayat Chunav : आरक्षण सूची को लेकर जानें ये खास बात, हाई कोर्ट की सख्ती के बाद यूपी सरकार एक्टिव

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Uttar Pradesh Panchayat Chunav ) को लेकर तैयारियां तेज हो चुकी है. हाई कोर्ट (Allahabad high court ) द्वारा सख्‍त टिप्पणी के बाद चुनावी प्रक्रिया तेज करने को लेकर सरकार की सक्रियता बढ़ चुकी है.reservation list ,reservation list news,reservation list samachar

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Uttar Pradesh Panchayat Chunav ) को लेकर तैयारियां तेज हो चुकी है. हाई कोर्ट द्वारा सख्‍त टिप्पणी के बाद चुनावी प्रक्रिया तेज करने को लेकर सरकार की सक्रियता बढ़ चुकी है. उम्मीदवार आरक्षण सूची का इंतजार कर रहे हैं जिसपर अभी पेच फंसा हुआ है, लेकिन आपको बता दें कि चक्रानुक्रम फार्मूले पर पंचायतों का आरक्षण निर्धारित किया जाना तय है.

इसका मतलब यह है कि चुनाव में जिस वर्ग के लिए सीट पिछली बार आरक्षित थी, इस बार उस वर्ग में आरक्षित नहीं हो पाएगी. पिछले पांच चुनावों में अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित नहीं रहीं क्षेत्र व जिला पंचायतों में इसका प्रभाव नजर आयेगा. इन सीटों को इस बार आरक्षित करने का काम किया जाएगा.

वहीं दूसरी ओर लगातार आरक्षण के दायरे में आयी सीटों को इस बार अनारक्षित किए जाने की तैयारी की जा रही है. आरक्षण के इन प्रस्तावों पर अंतिम निर्णय अभी नहीं लिया गया है. पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह का बयान मामले को लेकर आया है. उन्होंने कहा है कि जल्द ही इस बारे में फैसला लेने का काम किया जाएगा.

महिलाओं के आरक्षण की बात : पंचायत चुनाव में महिलाओं के आरक्षण की बात करें तो 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था उनके लिए है. इसे वरीयता क्रम के अनुसार लागू करने का काम किया जाता है. इसका मतलब यह है कि पहला नंबर अनुसूचित जाति वर्ग की महिला का आएगा. अनुसूचित वर्ग की कुल आरक्षित 21 प्रतिशत सीटों में से एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएगी. इसी प्रकार पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित 27 प्रतिशत सीटों में भी पहली वरीयता महिलाओं को देने का काम किया जाएगा. अनारक्षित सीटों पर सामान्य वर्ग से लेकर किसी भी जाति का शख्‍स चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है.

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आबादी के आधार पर आरक्षण की बात : ग्राम प्रधान पद का आरक्षण आबादी के आधार पर तय करने का काम किया जाता है. यहां आपको बता दें कि आरक्षित वर्ग की जनसंख्या अधिक होने पर ब्लाक को केंद्र माना जाता है और ग्राम प्रधान का आरक्षण निर्धारित कर दिया जाता है. क्षेत्र पंचायत का आरक्षण जिले की आबादी के आधार पर करने का काम किया जाता है. इसी क्रम में जिला पंचायत का आरक्षण प्रदेश स्तर पर तय किया जाएगा.

क्या कहा इलाहाबाद हाई कोर्ट ने : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में राज्य चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने को कहा कि सूबे में पंचायत चुनाव 30 अप्रैल, 2021 तक करा लिए जाएं. न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने हाथरस निवासी विनोद उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया. इससे पूर्व, बुधवार को चुनाव आयोग के वकील ने अदालत के समक्ष चुनाव के कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिसे देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि संविधान के आदेश के मुताबिक, पंचायत चुनाव 13 जनवरी, 2021 को या इससे पूर्व करा लिए जाने चाहिए थे. चुनाव आयोग के निर्वाचन कार्यक्रम से यह चुनाव मई, 2021 में पूरा होता दिख रहा है। प्रथम दृष्टया हम चुनाव आयोग द्वारा दिए गए कार्यक्रम को स्वीकार नहीं कर सकते.

Posted By : Amitabh Kumar

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