चकरनगर : (इटावा)/औरैया : कभी डाकुओं की शरणस्थली रही चंबल घाटी के लोग इन दिनों खुश हैं. इसका कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय का एक ट्वीट है. इस ट्वीट ने यहां के लोगों द्वारा 45 साल से देखा जा रहा सपना पूरा होने की उम्मीद जगा दी है. इस ट्वीट में कहा गया है- पंचनद बैराज परियोजना से जनपद औरैया, कानपुर देहात एवं सिंचन क्षमता में वृद्धि होगी तथा इनके साथ-साथ अन्य जिले भी लाभान्वित होंगे.
चकरनगर के पूर्व ब्लॉक प्रमुख मुकेश राजावत कहते हैं कि बीहड़ क्षेत्र की किस्मत खुलने जा रही है. परियोजना से हर वर्ग के लोगों को लाभ होगा. आर्थिक तरक्की भी होगी. यहीं के रहने वाले सुंदर सिंह चौहान कहते हैं, चंबल को डाकुओं की शरणस्थली के रूप में नहीं अब विकास के नक्शे पर देखा जा सकेगा. पर्यटक यहां की खूबसूरती देखने आया करेंगे.
औरैया जिले में प्रस्तावित पंचनद बैराज परियोजना के लिए दिसंबर 2020 में 3011 करोड़ की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट मुख्य अभियंता कार्यालय भेजी गई थी. संशोधन के बाद इसकी लागत 2597 की गई. बीते दिनों प्रदेश के प्रमुख सचिव एवं सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता ने रिपोर्ट का प्रजेंटेशन मुख्यमंत्री आवास पर किया था. इसके बाद ही मुख्यमंत्री कार्यालय ट्वीट कर कहा गया कि परियोजना से कृषकों को लाभ होगा.
यहीं विष्णु ने पाया था सुदर्शन चक्र
पर्यटन की नजर से चंबल क्षेत्र काफी लोकप्रिय हो सकता है. यमुना, चंबल, सिंध, क्वारी और पहुंज नदियों के संगम पंचनद का पौराणिक महत्व भी है. पुराणों के अनुसार द्वापर युग में भगवान विष्णु ने यहीं आराधना कर सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था. यहां अभी हालत यह है सिंध, क्वारी, पहुंज जैसी छोटी नदियां बरसात के बाद सूखने के कगार पर आ जाती हैं और जल संकट खड़ा हो जाता है. पीने के पानी के लिए डेढ़ सौ से 200 फीट तक बोरिंग करानी पड़ती है.
इंदिरा गांधी ने की थी बैराज की घोषणा
वर्ष 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यहां जनसभा के दौरान पांच पवित्र नदियों के संगम स्थल पर बांध की स्थापना की घोषणा की थी. तब से यहां के लोग इसकी बाट जोह रहे थे. अब उनके खुश होने का वक्त आया है. लोगों का कहना है कि पंचनद बैराज से चंबल क्षेत्र में लाखों की संख्या में बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर खुल जाएंगे. क्षेत्र को निर्बाध बिजली मिलने से उद्योग-कारखाने भी लगेंगे.
Posted By : Rajneesh Anand