Varanasi News: मोक्ष की नगरी काशी में मृत पशु अब सार्वजनिक स्थानों पर फेंके हुए नहीं दिखेंगे. ऐसे मृत जानवरों के सड़ने की दुर्गंध से भी लोगों को घुटन नहीं महसूस होगी. इसके लिए प्रदेश सरकार पुख्ता इंतजाम कर रही है. अब पशुओं का भी शवदाह किया जा सकेगा. इसके लिए जनपद में पशुओं का शवदाह गृह बन रहा है. यह प्रदेश का पहला इलेक्ट्रिक पशु शवदाह गृह होगा, जो अगले महीने तक बन जाएगा.
चिरईगांव विकासखंड क्षेत्र में बन रहे इस शवदाह गृह की लागत दो करोड़ 24 लाख रुपये है. दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर तेज गति से उभर रहे वाराणसी का कायाकल्प केंद्र और राज्य सरकार की हजारों करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं के जरिये जारी है. वहीं, यहां पशुपालन व्यवसाय भी तेजी से बढ़ा है, लेकिन पशुओं के मरने के बाद उनके निस्तारण की व्यवस्था जैसे-तैसे ही होती रही है.
पशुपालक मृत पशुओं को सड़क किनारे खेत में फेंक देते या चुपके से गंगा में विसर्जित कर देते थे, जिससे दुर्गंध के साथ प्रदूषण भी फैलता था. साथ ही मृत पशुओं को फेंकने को लेकर अक्सर मारपीट तक की नौबत आ जाती थी. अब प्रदेश की योगी सरकार पशुओं के डिस्पोजल के लिए विद्युत पशु शवदाह गृह का निर्माण वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक के जाल्हूपुर गांव में करा रही.
जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी अनिल कुमार सिंह के अनुसार, 0.1180 हेक्टेयर जमीन पर 2.24 करोड़ की लगात से इलेक्ट्रिक पशु शवदाह गृह बनाया जा रहा है. इसका संचालन बिजली से होगा. भविष्य में आवश्यकता अनुसार, इसे सोलर एनर्जी और गैस पर आधारित करने का भी प्रस्ताव है. इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की क्षमता करीब 400 किलोग्राम प्रति घंटा के डिस्पोजल की है. ऐसे में एक घंटे में एक पशु का और एक दिन में 10 से 12 मृत पशुओं का डिस्पोजल यहां संभव होगा.
उन्होंने बताया कि डिस्पोजल के बाद बची राख का इस्तेमाल खाद में हो सकेगा. मृत जानवरों के डिस्पोजल व खाद की बिक्री के बारे में जिला पंचायत बोर्ड की बैठक में निर्णय होगा. मृत पशुओं को उठाने के लिए जिला पंचायत पशु कैचर भी खरीदेगा. जिले के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. राजेश कुमार सिंह ने बताया कि जनपद में करीब 5 लाख 50 हजार पशु हैं. इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनने के बाद लोग मृत पशुओं को खुले में नहीं फेकेंगे.