Vaikuntha Ekadashi 2023: खोले गए भगवान रंगनाथ के बैकुंठ द्वार, साल में एक बार देते हैं दर्शन

Mathura News: बैकुंठ एकादशी के अवसर पर मथुरा में बने रंगनाथ मंदिर में बैकुंठ द्वार को खोल दिया गया है. यह बैकुंड द्वार साल में सिर्फ एक बार खोला जाता है. जिसमें रंगनाथ भगवान बैकुंठ द्वार पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | January 2, 2023 5:09 PM

Mathura News: बैकुंठ एकादशी के अवसर पर मथुरा में बने उत्तर भारत के विशालतम दक्षिण शैली के सबसे बड़े मंदिर रंगनाथ में बैकुंठ द्वार को खोला गया. यह बैकुंड द्वार साल में सिर्फ एक बार खोला जाता है. जिसमें रंगनाथ भगवान बैकुंठ द्वार पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार द्वार से जो भक्त निकलता है उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है. ऐसे में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ मंदिर पर देखने को मिली.

भगवान रघुनाथ की मंगला आरती की गई

बैकुंठ एकादशी से एक दिन पहले देर रात को भगवान रघुनाथ की मंगला आरती की गई. जिसके बाद सुबह ब्रह्म मुहूर्त में भगवान रंगनाथ, माता गोदा जी के साथ परंपरागत वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के मध्य निज मंदिर से पालकी में विराजमान होकर बैकुंठ द्वार पहुंचे. इस दौरान भगवान रघुनाथ की पालकी आधे घंटे तक द्वार पर खड़ी रही.

मंदिर में भगवान रंगनाथ की पालकी जैसे ही बैकुंठ द्वार पर पहुंची. महंत गोवर्धन रंगाचार्य के नेतृत्व में सेवायतों ने पाठ करना शुरू किया. और करीब आधे घंटे तक हुए इस पाठ और पूजा अर्चना के बाद भगवान रंगनाथ, शठ कोप स्वामी, नाथ मूनिस्वामी और आलवर संतों की भी आरती की गई.

Also Read: बरेली से बदायूं- मथुरा की राह हुई आसान, लंबे इंतजार के बाद आज रात से लाल फाटक ओवरब्रिज पर दौड़ेंगे वाहन

पूजा पाठ के बाद भगवान रंगनाथ की सवारी मंदिर के प्रांगण में भ्रमण करने निकली. और उसके बाद बैकुंठ लोक बोले जाने वाले पौंडा नाथ मंदिर में विराजमान हुई. इस दौरान मंदिर में आए हुए भक्तजनों ने भजन भी गाए.

फूल से सजाया गया द्वार

आपको बता दें रंगनाथ मंदिर के बैकुंठ द्वार साल में एक ही बार खुलते हैं. ऐसे में बैकुंठ एकादशी के अवसर पर भगवान रंगनाथ के पट खोले गए थे. उससे पहले बैकुंठ द्वार पर भव्य सजावट की गई थी. द्वार को सजाने के लिए करीब 1000 किलो से ज्यादा के विभिन्न प्रजातियों के फूल लगाए गए थे. लाइटिंग को भव्य रूप दिया गया था. जिससे लोगों को द्वार की भव्यता अलग ही दिखाई पड़े.

Next Article

Exit mobile version