Agra: वरद वल्लभा मंदिर में भव्य सिंहासन पर विराजे गणपति, पंचामृत से हुआ महाअभिषेक, भक्तों की उमड़ी भीड़

वरद वल्लभा गणपति मंदिर में भव्य सिंहासन पर भगवान गणेश विराजमान हो चुके हैं. गणपति का पंचामृत से महाअभिषेक किया गया. अब से रोजाना गणपति के भक्त अपने आराध्य के दर्शन के लिए मंदिर में आ सकेंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | April 29, 2022 2:20 PM
an image

Agra News: आगरा-फिरोजाबाद रोड पर स्थित छलेसर पर विघ्नहर्ता भगवान गणेश के नवनिर्मित अष्टकोणीय वरद वल्लभा गणपति मंदिर में 10 फुट ऊंचे और 8 फुट चौड़े स्वर्णिम आभा के लिए भगवान गणपति मनमोहक सिंहासन पर विराजमान हो गए. मंदिर के पट खुलते ही भक्तों की भीड़ मंदिर में उमड़ पड़ी. अब से रोजाना गणपति के भक्त अपने आराध्य के दर्शन के लिए मंदिर में आ सकेंगे. आगरा में गणपति का यह पहला विशाल मंदिर है.

12 साल की कड़ी मेहनत के बाद तैयार हुई प्रतिमा

एनआरएल ग्रुप द्वारा 12 साल की कड़ी मेहनत के बाद पूर्ण हुए वरद वल्लभा गणपति के मंदिर में गणपति प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के तीसरे दिन कांचीपुरम के पंडित शबरी राजन और भरनीधरण आर सहित दक्षिण भारत के 8 पंडितों ने 121 मंगल कलश के जल, दुग्ध सहित पंचामृत से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान गणपति का महा अभिषेक किया. इस दौरान मंदिर प्रांगण में ओम महा गणपतए नमः की धुन लगातार भक्तों के कानों में रस घोलती रही.

मंदिर के कपाट खुलने का समय हुआ जारी

गणपति के अभिषेक के बाद भगवान का साफा, फूल माला, मस्तक पर त्रिपुंड और शुभ सतिया, दोनों हाथों में कमल और कमर तक सफेद धोती के साथ आकर्षक शृंगार किया गया. उसके बाद भगवान की आरती भी उतारी गई और फिर मंदिर के द्वार भक्तों के लिए खोल दिए गए. एनआरएल ग्रुप के चेयरमैन हरि मोहन गर्ग ने बताया कि अब सुबह 7 से 11 और शाम 5 से रात 8:30 बजे तक भक्त अपने आराध्य के दर्शन कर सकेंगे.

मंत्रों से किया गया प्रतिमा में प्राण शक्ति का प्रवेश

वरद वल्लभा गणपति मंदिर के तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह के समापन पर यज्ञशाला पूजा, महा पूर्णाहुति और स्पर्श आहुति के बाद नाड़ी संतानम क्रिया द्वारा यज्ञशाला में भगवान गणेश के सिर से पैर तक पूरे शरीर को जीवन प्रदान किया गया. फिर मंदिर में गणपति की प्राण प्रतिष्ठा करते हुए मंत्रों से प्रतिमा में प्राण शक्ति का प्रवेश किया गया.

वरद वल्लभा गणपति मंदिर के शिखर पर विराजमान कलश पर क्रेन से पहुंचकर पंडित सबरी राजन ने कुंभाभिषेकम किया. इसके साथ ही शिखर के कलश पर मोर पंख लगाया और ध्वजा पताका भी फहराई गई.

रिपोर्ट- राघवेंद्र गहलोत

Exit mobile version