अब काशी के 84 घाट पर 15 लाख दीये जगमगाएंगे, वाराणसी पर्यटन विभाग की स्थानीय जिला प्रशासन के साथ तैयारियां शुरू
अयोध्या के 32 घाटों पर 12 लाख दीप जलाए गए थे. इस दीपोत्सव ने गिनीज बुक में वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज कराया था. अयोध्या के बाद महादेव की नगरी में 15 लाख दीप काशी के 84 घाट पर लगेंगे. पर्यटन विभाग ने पिछले साल भी 15 लाख दीए से 84 घाट को सजवाया था.
Varanasi Deepotasav News : अयोध्या में दीपावली के बाद काशी में भी देव दिवाली भव्य तरीके से मनाई जाएगी. काशी के 84 घाट पर 15 लाख दीये जलाए जाएंगे. उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि अयोध्या के बाद बाबा विश्वनाथ की नगरी में होगा भव्य दीपोत्सव देव दीपावली के अवसर पर 15 लाख दीप सजेंगे.
बता दें कि देव दीपावली के लिए वाराणसी पर्यटन विभाग ने स्थानीय जिला प्रशासन के साथ तैयारियां शुरू कर दी हैं. अयोध्या में हुए दीपोत्सव का रिकॉर्ड बनाया था. अयोध्या के 32 घाटों पर 12 लाख दीप जलाए गए थे. इस दीपोत्सव ने गिनीज बुक में वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज कराया था. अयोध्या के बाद महादेव की नगरी में 15 लाख दीप काशी के 84 घाट पर लगेंगे. पर्यटन विभाग ने पिछले साल भी 15 लाख दीए से 84 घाट को सजवाया था.
देव दीपावली
अयोध्या के बाद बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में होगा भव्य दीपोत्सव
👉 देव दीपावली के अवसर पर काशी के घाटों पर सजेंगे 15 लाख दीये
👉 प्रदेश सरकार में मिल रहा आस्था को वैश्विक सम्मान pic.twitter.com/rt7NINDguS
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) November 11, 2021
पावन नगरी काशी में पर्वों और उत्सव की लंबी श्रृंखला है. बनारस के पर्व परंपरा की ऐसी ही एक कड़ी यहां की देव दीपावली है. कहते हैं धरावासियों द्वारा दीपावली मनाने के एक पक्ष बाद कार्तिक पूर्णिमा पर देवताओं की दीपावली होती है. दीपावली मनाने 33 करोड़ देवी देवता स्वर्ग से काशी के पावन तट पर अदृश्य रूप में अवतरित होते हैं और महाआरती में शामिल श्रद्धालुओं के मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं.
देव दीपावली पर्व काशी की प्राचीन संस्कृति का खास अंग है. देव दीपावली का वर्णन शिव पुराण में मिलता है. कहते हैं, जब कार्तिक मास में त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने देवताओं पर अत्याचार शुरू किया और उनको मारने लगा तब भगवान विष्णु ने इस क्रूर राक्षस का वध इसी दिन किया था और देवताओं ने दीपावली मनाई थी. मान्यता है कि काशी के गंगा घाट पर इस दिन देव लोक के सारे देवी देवता अदृश्य रूप में मौजूद रहते हैं. इस आध्यात्मिक पल के गवाह देशी ही नहीं विदेशी सैलानी भी होते हैं.
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रिपोर्ट : विपिन सिंह