Kashi Vishwanath Corridor: भारत की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी आज आध्यात्म का एक नया अध्याय लिखने जा रही है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण करने बनारस की धरती पर आ रहे हैं. काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के अवसर पर 14 दिसंबर तक प्रदेश के लोग दीपक जलाकर अपने घरों में भगवान शिव का आह्वान करेंगे. आइए इस मौके पर जानते हैं काशी विश्वनाथ के बारे में ये 10 अनोखी बातें…
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बारह ज्योतिर्लिंगों में एक काशी विश्वनाथ मंदिर के स्पर्श मात्र से राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है. ऐसी मान्यता है कि एक बार मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो हिस्सों में बंटा हुआ है. दाहिने भाग में शक्ति के रूप में मां दुर्गा विराजमान हैं, तो दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप रूप में विराजमान हैं. यही कारण है कि काशी को मुक्ति का एकमात्र धाम कहा जाता है.
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जब मुर्तियों का श्रृंगार किया जाता है उस समय सारी मूर्तियां पश्चिम मुखी होती हैं. इस ज्योतिर्लिंग में शिव और शक्ति दोनों साथ ही विराजते हैं, ऐसा चमत्कार दुनिया में सिर्फ काशी में ही देखने को मिला है, और कहीं नहीं
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विश्वनाथ दरबार में गर्भ गृह का शिखर है. इसमें ऊपर की ओर गुंबद श्री यंत्र से मंडित है. तांत्रिक सिद्धि के लिए ये एक श्रेष्ठ स्थान है. इसे श्री यंत्र-तंत्र साधना के लिए उत्तम माना जाता है.
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बाबा विश्वनाथ के दरबार में तंत्र की दृष्टि से चार मुख्य द्वार हैं- पहला शांति द्वार, दूसरा कला द्वार, तीसरा प्रतिष्ठा द्वार, और चौथा निवृत्ति द्वार है. इन चारों द्वारों का तंत्र में अहम स्थान है. काशी के अलावा ऐसी कोई जगह नहीं, जहां शिवशक्ति एक साथ विराजमान हों और साथ में तंत्र द्वार भी मौजूद हो.
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बाबा विश्वनाथ काशी में गुरु और राजा के रूप में विराजमान हैं. दिनभर गुरु रूप में भोलेनाथ काशी में भ्रमण करते हैं. रात नौ बजे जब बाबा का श्रृंगार और आरती की जाती है तो वह राज वेश में होते हैं. यही कारण है कि शिव को राजराजेश्वर के नाम से भी जाना जाता है.
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काशी विश्वनाथ मंदिर के ऊपर एक सोने का छत्र लगा हुआ है. ऐसा मान्यता है कि इस छत्र के दर्शन से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, और घर में सुख समृद्धि आती है.
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गंगा किनारे स्थापित इस मंदिर की स्थापना 1490 में हुई थी. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव गंगा के किनारे इस नगरी में निवास करते हैं. उनके त्रिशूल की नोक पर काशी बसी है.
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काशी विश्वनाथ मंदिर दुनिया के प्रसिद्ध हिन्दू मंदिरों में से एक है और इस मंदिर की मुख्य मूर्ति को विश्वनाथ नाम दिया गया है, जिसका अर्थ ब्रह्माण्ड के शासक होता है.
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ऐसी मान्यता है कि जब औरंगजेब इस मंदिर को ध्वस्त करने आया था, तब मंदिर में मौजूद लोगों ने यहां के शिवलिंग की रक्षा करने के लिए उसे मंदिर के पास ही बने एक कुएं में छिपा दिया था. वह कुआं आज भी मंदिर के आस-पास ही कहीं मौजूद है.