आप कितना जानते हैं लखनऊ के वीर अब्दुल हमीद चौक पर रखी जिप्सी और उसके इतिहास के बारे में?
साल 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वीर अब्दुल हमीद ने पाकिस्तानी दुश्मनों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी थी. उन्होंने पाकिस्तान के 7 पैटर्न टैंकों के परखच्चे उड़ा दिए थे. इस बीच वे शहीद हो गए थे. उन्हीं के नाम पर यूपी की राजधानी लखनऊ में वीर अब्दुल हमीद चौक बनाया गया है. मगर ज्यादातर लोग अंजान हैं.
Veer Abdul Hamid Chawk In Lucknow Cant: उत्तर प्रदेश की सरजमीं पर जन्मे वीर अब्दुल हमीद की कल 1 जुलाई को जन्मतिथि थी. यूपी के गाजीपुर जिले के एक साधारण परिवार में 1 जुलाई, 1933 को वीर अब्दुल हमीद का जन्म हुआ था. साल 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वीर अब्दुल हमीद ने पाकिस्तानी दुश्मनों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी थी. उन्होंने पाकिस्तान के 7 पैटर्न टैंकों के परखच्चे उड़ा दिए थे. इसी दौरान वह शहीद हो गए थे. उन्हीं के नाम पर यूपी की राजधानी लखनऊ में वीर अब्दुल हमीद चौक बनाया गया है. मगर इसके बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं पता.
एक ओर जब सोशल मीडिया में शुक्रवार को वीर अब्दुल हमीद को याद किया जा रहा था. सभी उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे थे. इसी बीच प्रभात खबर ने एक सर्वे किया. इसमें वीर अब्दुल हमीद के नाम से लखनऊ में बनाये गए चौक के बारे में लोगों से पूछा गया. बड़ी हैरत की बात रही कि बड़ी संख्या में लोगों को नहीं पता था कि लखनऊ में देश के लिए अपने प्राण को न्योछावर कर देने वाले भारत मां के इस सपूत के लिए चौराहा बनाया गया है. यह चौराहा सदर क्षेत्र के प्रवेश द्वार पर ही बना हुआ है. यहां हमीद जी ने जिस जिप्सी में सवार होकर दुश्मनों को नाकों चने चबवाये थे, वह भी रखी हुई है. यह शहर का व्यस्त चौराहा भी है. कैंट क्षेत्र को हजरतगंज से जोड़ने वाली मुख्य सड़क पर स्थापित वीर हमीद जी का स्मारक लोगों की नजर में आता तो है मगर इस बारे में अधिकतर लोगों को पता ही नहीं है.
शहीद अब्दुल हमीद 27 दिसम्बर 1954 को सेना में शामिल हुए थे. उन्हें 1965 की जंग में असाधारण बहादुरी के लिए महावीर चक्र और परमवीर चक्र से नवाजा गया था. 8 सितंबर 1965 की रात में पाकिस्तान ने पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर में हमला कर दिया था. उस सेक्टर में वीर अब्दुल हमीद भी अपनी टुकड़ी संग तैनात थे. वहीं, पाकिस्तान ने ‘अमेरिकन पैटन टैंकों’ के साथ, खेमकरण सेक्टर में पाकिस्तानी फौजों ने हमला किया था. अब्दुल हमीद ने अपनी जीप में बैठकर अपनी गन से पैटन टैंकों के कमजोर हिस्सों पर निशाना लगाना शुरू कर दिया. उनको ऐसा करते देख अन्य सैनिकों का भी हौसला बढ़ गया. देखते ही देखते पाकिस्तान फौज भागने लगी. अब्दुल हमीद ने अपनी एक ‘गन माउनटेड जीप’ से सात ‘पाकिस्तानी पैटर्न टैंकों’ को नष्ट करने का कारनामा अंजाम दिया था. हालांकि, भागते हुए पाकिस्तानियों का पीछा करते वीर अब्दुल हमीद की जीप पर एक बम का गोला गिर जाने से वे बुरी तरह से घायल हो गए. 9 जुलाई को धरती मां के इस वीर सपूत का इंतकाल हो गया. वे शहीद हो गए.