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ज्ञानवापी मामले में बयानबाजी करने वाले दिग्‍गज नेताओं पर ग‍िरेगी ‘गाज’, कोर्ट में होगी सुनवाई?

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156-3 के तहत दिए गए इस प्रार्थना पत्र पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंचम उज्जवल उपाध्याय की अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रखा है. अधिवक्ता की मांग है कि तीनों नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्जकर विवेचना करने का आदेश अदालत दे.

By Prabhat Khabar News Desk | May 23, 2022 7:08 PM

Varanasi News: वाराणसी में मां शृंगार गौरी-ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर राजनीतिक बयानबाजी में कई नेता कानूनी मुकदमों में फंस सकते हैं. वाराणासी के अधिवक्ता हरिशंकर पाण्डेय ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है.

जानें क्‍या है मामला

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156-3 के तहत दिए गए इस प्रार्थना पत्र पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंचम उज्जवल उपाध्याय की अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रखा है. अधिवक्ता की मांग है कि तीनों नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्जकर विवेचना करने का आदेश अदालत दे. तीनों नेताओं के बयानों से लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. अधिवक्ता हरिशंकर पाण्डे का कहना है कि इन तीनों नेताओं ने श्रृंगार गौरी- ज्ञानवापी प्रकरण में निंदनीय बयानबाजी की है. पिछले दिनों सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान दिया था कि किसी पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर लगा कर झंडा लगा दो तो वहीं मंदिर बन जाता है. वह शिवलिंग नहीं फव्वारा है जो वर्षों से बंद पड़ा है. इससे असंख्य लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.

इन नेताओं की खिलाफत की 

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी भी हिंदुओं के स्वयंभू ज्योतिर्लिंग के खिलाफ लगातार अपमानजनक बयान देते आ रहे हैं. इससे लगातार लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रहीं हैं. इसके अलावा अधिवक्ता का आरोप है, ‘बीती 6 मई को ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में नमाजियों ने हाथ-पैर धोया. वहां हमारे विश्वनाथ जी थे. इससे हम असंख्य लोगों को कष्ट पहुंचा है. वजूखाने में मिले शिवलिंग को फव्वारा कह कर हम सनातन धर्मियों की भावना को कष्ट पहुंचाया गया है. इसके चलते हम सभी को असहनीय कष्ट है. इसमें अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी, शहर काजी और शहर के उलेमा भी शामिल हैं.’ इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की मांग के लिए उन्होंने पुलिस महकमे के उच्चाधिकारियों को डाक के माध्यम से प्रार्थना पत्र भेजा था. मगर सुनवाई नहीं हुई. इसलिए उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

रिपोर्ट : विपिन सिंह

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