नयी दिल्ली : विकास दुबे एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. कोर्ट नू इस दौरान यूपी सरकार को निर्देश दिए कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में हो. कोर्ट ने आदेश दिया कि कमिटी में एक पूर्व डीजीपी को भी रखा जाए. कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद थे.
समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार को कहा कि कानून व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी आपकी है. आप का यह कर्तव्य भी है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि रिटायर्ड जज की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट करें, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इतने शातिर अपराधी को पैरोल कैसे मिला?
10 जुलाई को एनकाउंटर में मौत– विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाने के दौरान पुलिस एनकाउंटर में मोती हो गई थी. एसटीएफ द्वारा जारी प्रेस नोट के मुताबिक जब एसटीएफ का काफिला कानपुर से पहले भौंती बायपास के पास पहुंची तो कुछ पशु आगए, जिससे गाड़ी पलट गई और इसी दौरान विकास दुबे इन्स्पेक्टर की गन लेकर भागने लगा, जिसके बाद पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया.
उज्जैन में हुई थी गिरफ्तारी– घटना के 7 दिन बाद विकास दुबे की गिरफ्तारी उज्जैन में हुई थी. दुबे यूपी से भागकर, एमपी के उज्जैन पहुंच गया, जहां पर वो महाकाल मंदिर में तथाकथित तौर पर सिक्योरिटी गार्ड के हत्थे चढ़ा, जिसके बाद यूपी पुलिस उज्जैन से उसकी लेकर कानपुर और लखनऊ पूछताछ के लिए ला रही थी.
बिकरु गांव मुठभेड़ का था मुख्य आरोपी– विकास दुबे बिकरु गांव में 2-3 जुलाई दरम्यानी रात में हुई मुठभेड़ का मुख्य आरोपी था. दुबे पर आरोप था कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की. दुबे घटना के बाद फरार हो गया था, जिसके बाद पूरे मामले की जिम्मेदारी एसटीएफ को सौंपी गई थी.
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Posted By : Avinish Kumar Mishra