Vinay Pathak Corruption Case: प्रो. विनय पाठक की मुश्किलें बढ़ी, पूर्व विधायकों ने आनंदीबेन को लिखा पत्र
छह पूर्व विधायकों ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर प्रो. विनय कुमार पाठक के विरुद्ध बड़े पैमाने पर किए गए विभिन्न भ्रष्टाचार के प्रकरण में तत्काल कदम उठाते हुए मामले की जांच ईडी, आईटी और सीबीआई से कराए जाने के साथ ही गिरफ्तारी की मांग की है.
Lucknow News: छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो. विनय पाठक की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं. छह पूर्व विधायकों ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर प्रो. विनय कुमार पाठक के विरुद्ध बड़े पैमाने पर किए गए विभिन्न भ्रष्टाचार के प्रकरण में तत्काल कदम उठाते हुए मामले की जांच ईडी, आईटी और सीबीआई से कराए जाने के साथ ही गिरफ्तारी की मांग की है.
भ्रष्टाचार, कदाचार धोखाधड़ी के बने पर्याय
पूर्व विधायकों ने कहा है कि छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति व भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा के प्रभारी कुलपति प्रो. विनय पाठक इन दिनों भ्रष्टाचार, कदाचार धोखाधड़ी के पर्याय बन गए हैं. उन्होंने शिक्षा के उच्च मन्दिर जिनमें उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी, कोटा की वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी, भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर, अब्दुल कलाम आजाद टेक्निकल विश्वविद्यालय तथा लखनऊ की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के शीर्ष कुलपति के रूप में करोड़ों करोड़ों रुपयों की बेईमानी, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार करके विश्वविद्यालयों, शिक्षाक्षेत्रों, छात्रों, अध्यापकों और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के साथ बहुत बड़ा अनैतिक कार्य करके प्रदेश व देश स्तर को बहुत बड़ी हानि व कलंकित किया है.
अभी तक गिरफ्तारी नहीं होने पर उठे सवाल
पूर्व विधायकों ने कहा है कि प्रो. पाठक के इस तरह कदाचार करने के बावजूद आज तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई। इसके अलावा अन्य मामलों की तरह बुलडोजर चलाने, ईडी, आईटी, और सीबीआई जांच प्रारंभ करने जैसे कदम भी नहीं उठाये गये हैं. पूर्व विधायकों ने आरोप लगाया कि प्रो. पाठक को उत्तर प्रदेश और केंद्र में वरिष्ठ मंत्री व परिवार का वरदहस्त है. इसी वजह से उनके मामले में केवल लीपापोती चल रही है और जनता, शिक्षार्थियों, अध्यापकों और कर्मचारियों का भविष्य अधर में है.
क्यों नहीं चला बुलडोजर
पूर्व विधायकों ने कहा कि प्रो. पाठक के इस कुकृत्य से उत्तर प्रदेश, केन्द्र और जनता के धन की बड़ी लूट हुई है. कुलपति का पद आदर्श व महत्वपूर्ण होता है, जिस पर आसीन होकर प्रो. पाठक ने बेईमानी व भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं लांघी हैं. उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे मामलों में जांच, गिरफ्तारी, रिकवरी और बुलडोजर चल जाता है. लेकिन, प्रो. पाठक के मामले में अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है और वह स्वच्छंद घूम रहे हैं.
शिक्षा सत्र अनियमित होने से छात्रों का भविष्य दांव पर
पूर्व विधायकों ने इसे आश्चर्यजनक और हास्यप्रद करार देते हुए कहा किअवैध तरीके से भर्तियों, संपत्ति के रखरखाव में भारी हेराफेरी, बगैर मानकों के बड़ी-बड़ी खरीदारी आदि सभी विश्वविद्यालयों में हुई है. उन्होंने कहा कि प्रो. पाठक संरक्षक नेताओं को भारी धन देकर खुद को बचाते रहे हैं. उनकी वजह से विश्वविद्यालयों के शिक्षा सत्र लगभग सभी अनियमित होकर विलंबित हो चुके हैं. इस वजह से छात्रों के पठन-पाठन में भारी बाधा और उनका भविष्य दांव पर लगा हुआ है.
रिकवरी से लेकर जांच एंजेंसियों को सौंपा जाए मामला
पूर्व विधायकों ने राज्यपाल से अपील की है कि अविलंब प्रो. पाठक के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई किया जाना जरूरी है. इस मामले में पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाना तत्काल बंद करना चाहिए. इसके साथ ही भारी धन की लूट, बंदरबांट और हानि के कारण तुरन्त रिकवरी कराने के कदम उठाने के साथ ईडी, आईटी और सीबीआई जांच प्रारंभकी जाए. पूर्व विधायकों ने छात्रों, शिक्षा जगत, समाज और देश हित में एक अच्छे ईमानदार, सुयोग्य अन्य कुलपति की अविलंब नियुक्त करने की भी मांग की है. राज्यपाल को पत्र भेजने वाले पूर्व विधायकों में भूधर नारायण मिश्रा, नेक चन्द्र पाण्डेय, हाफिज मोहम्मद उमर, गणेश दीक्षित, संजीव दरियाबादी और सरदार कुलदीप सिंह शामिल है.