Varanasi News: ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की ओर से एक ट्रस्ट महादेव काशी धर्मालय मुक्ति न्यास का गठन किया गया है. इस ट्रस्ट में राखी सिंह बनाम वाले केस से जुड़ी चार वादी महिलाएं भी जुड़ी हैं, लेकिन राखी सिंह के परिवार के जितेंद्र सिंह बिसेन विश्व वैदिक सनातन संघ के संस्थापक ने इस ट्रस्ट से अपना और अपनी भतीजी राखी सिंह का दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं बताया. मीडिया से बातचीत करने के दौरान उन्होंने कहा कि हर दिन कोई न कोई ट्रस्ट बनता है, उसी तरह ये ट्रस्ट बना है. यदि ये किसी अच्छे कार्य के लिए बना है तो सराहनीय है.
विश्व वैदिक सनातन संघ के जितेंद्र सिंह बिसेन ने कहा कि, मुझे मीडिया के जरिए यह जानकारी मिली है कि ट्रस्ट बनाया गया है. यह ट्रस्ट सरकार ने नहीं बनाया गया है. जोकि मुझे आमंत्रित किया जाए. यह कुछ व्यक्तियों ने मिलकर बनाया है. जिसमें कौन-कौन लोग शामिल हैं मुझे भी नहीं पता, और यह ट्रस्ट यदि किसी अच्छे उद्देश्य के लिए बनाई गई है तो हम उसकी सराहना करते हैं. प्रतिदिन हजारों ट्रस्ट बनते हैं और क़ई कार्य होते हैं. ये भी उनमें से किसी एक कार्य के लिए बना है. तो इसमे कोई बुराई नहीं है.
राखी सिंह बिसेन को इस ट्रस्ट में नहीं शामिल किया गया है. इस बात के जवाब पर कहा कि उन्हें कोई आवश्यकता नहीं है. वो मेरी भतीजी भी है और विश्व वैदिक सनातन संघ संस्था की को- फाउंडर भी हैं. राखी सिंह की अभी तक इस केस में कोई आवश्यकता नहीं पड़ी है. इसलिए वे नहीं आई. जिस दिन कोर्ट में उनकी जरूरत होगी वे आएंगी औऱ गवाही देंगी. हमे कभी फंड की जरूरत नहीं पड़ी. परमात्मा की कृपा से अब तक सब व्यवस्थित चल रहा है. 3 महीने से मैं जिस होटल में टिका हूं वहां निशुल्क तौर पर तीन कमरे हमारे लिए इस धर्मयुद्ध के लिए प्राप्त हैं. कुछ 2-3 मेरे मित्रों का सहयोग भी खूब है.
उन्होंने कहा कि, मुझे कभी किसी ने कोई फंड नहीं दिया. यह सब मुझे फंसाने के लिए षड्यंत्र रचा गया है. मेरे संस्था के अकाउंट में कुछ फंड ट्रांसफर किया गया था जिसकी जानकारी मीडिया समेत केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी दे दी गई. इसकी लिखित शिकायत भी की गई है. जब हमने सीबीआई जांच के लिए कहा था तो इसमे ये भी उलेख था कि इस फंड की जांच भी की जाए.
संतोष ने कहा कि ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर विष्णु शंकर जैन को हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता के तौर पर दिखाया गया जो कि गलत है, क्योंकि विष्णु शंकर जैन कभी भी इस केस में वकील नहीं रहे हैं, लेकिन उनको वकील के नाम पर प्रमोट किया जा रहा है. इस पर मुझे आपत्ति है. इनका वकालत नामा बहुत बाद में लगा है. इनका इस केस से कोई लेना देना ही नहीं है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह