Bhagwan Vishwakarma Jayanti : भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहले वास्तुकार माने जाते हैं. उनकी पूजा 17 सितंबर को विधिवत और धूमधाम से की जाती है. सभी छोटे से लेकर बड़े कारखानों तक इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा होती है. पूजा पद्धति क्या है ये जानेंगे पंडित जितेंद्र शास्त्री से.
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भगवान विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त– 17 सितंबर को सुबह 07.39 से सुबह 09.11 तक है.
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दूसरा शुभ समय- दोपहर 01.48 से दोपहर 03.20 मिनट तक
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तीसरा शुभ समय– दोपहर 03.20 से शाम 04.52 मिनट तक
इस वर्ष Vishwakarma Puja के दिन एक से बढ़कर एक शुभ योग बन रहे हैं. जिसका असर हर व्यक्ति के जीवन पर पड़ेगा. इस बार विश्वकर्मा पूजा के दिन एक दो नहीं बल्कि 4 शुभ योग बन रहे हैं.
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सर्वार्थ सिद्धि योग– सुबह 06:07 मिनट से दोपहर 12.21 मिनट
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द्विपुष्कर योग – दोपहर 12:21 मिनट से दोपहर 02.14 मिनट तक
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रवि योग- सुबह 6:07 मिनट से दोपहर 12.21 मिनट तक
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अमृत सिद्धि योग– सुबह 6:06 मिनट से दोपहर 12.21 मिनट तक
भगवान विश्वकर्मा जयंती के दिन भक्तों को स्नान करके, स्वच्छ, साफ़ कपड़े पहनकर पूजा स्थल की सफाई करनी चाहिए. इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान विश्वकर्मा की विधि-विधान से पूजा करने का संकल्प लें. पूजा चौकी स्थापित करें, उस पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या फोटो स्थापित करें. भगवान विश्वकर्मा के साथ संबंधित औजारों की शास्त्रों में बताई गई पूजा विधि से पूजा-अनुष्ठान करें. भगवान विश्वकर्मा को पान, सुपारी, हल्दी, अक्षत, फूल, लौंग, फल और मिठाई अर्पित करें. धूप-दीप जलाएं. भगवान विश्वकर्मा की आरती करें. क्षमा प्रार्थना करके प्रसाद बांटे. इसके बाद पूजा समाप्त करें.
Happy Vishwakarma Puja 2022
ॐ विश्वकर्मणे नमः
निर्बल हैं तुमसे बल मांगते हैं
करुणा के प्रयास से जल मांगते हैं,
श्रद्धा का प्रभु जी फल मांगते हैं।
जय जय श्री भुवना विश्वकर्मा
कृपा करे श्री गुरुदेव सुधर्मा
श्रीव अरु विश्वकर्मा माहि
विज्ञानी कहे अंतर नाहि