Holi 2023: कब है होली? ट्रेन का रिजर्वेशन कराने से पहले जानें सही तारीख, मथुरा जानें वाले इसका रखें खास ध्यान

ज्योतिषाचार्य जितेंद्र शास्त्री के मुताबिक होली का त्योहार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 6 मार्च 2023 को शाम 4.17 मिनट पर आरंभ होगी. अगले दिन 7 मार्च 2023 को शाम 6.09 मिनट तक रहेगी. इस तरह होलिका दहन 7 मार्च 2023 को है.

By Sanjay Singh | February 6, 2023 2:27 PM
an image

Lucknow: रंगों के पर्व होली को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. व्यापारी जहां होली पर अच्छे कारोबार की उम्मीद से आर्डर दे रहे हैं, वहीं अपने घरों से दूर रहने वाले इस बात से खुश हैं कि वह इस पर्व की खुशी सबके साथ मनााएंगे. इसके लिए वह होली का एक-एक दिन गिनकर इंतजार कर रहे हैं. परिवार के बड़े बुजुर्ग भी घर में बच्चों के आने के बारे में सोचकर बेहद खुश महसूस कर रहे हैं.

इसके अलावा मथुरा में भी प्रदेश और देश के अलग अलग हिस्सों से लाखों लोग होली मनाने के लिए पहुंचते हैं. यहां ब्रज की लट्ठमार होली सहित अन्य आयोजन पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं. वहीं इस बार होली की तारीख को लेकर लोगों में असमंजस देखने को मिल रहा है. अगर आप भी इस बार घर जाने का मन बना रहे हैं, तो ट्रेन में रिजर्वेशन कराने से पहले अपने सारे असमंजस दूर कर लें और जान लें इस बार होली का त्योहार कब मनाया जाएगा और कब होलिका दहन होना है.

ज्योतिषाचार्य जितेंद्र शास्त्री के मुताबिक होली का त्योहार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 6 मार्च 2023 को शाम 4.17 मिनट पर आरंभ होगी. अगले दिन 7 मार्च 2023 को शाम 6.09 मिनट तक रहेगी. इस तरह होलिका दहन 7 मार्च 2023 को है. इसी दिन होलिका दहन के लिए शुभ समय शाम 6:31 बजे से रात 8:58 बजे तक रहेगा. होलिका दहन के दिन को छोटी होली भी कहा जाता है.

होली से आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू होता है. इन दिनों में किसी भी शुभ काम को करने की मनाही होती है. होलिका दहन पहले वसंत पंचमी पर लोग चौक-चौराहों पर निर्धारित स्थान पर सूखी लकड़ियां जमीन में गाड़ देते हैं और उसके आसपास लकड़ी, उपले लगाते जाते हैं. होलिका दहन के दिन इसकी विधिवत पूजा कर होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा की जाती है. होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.

इस साल रंग वाली होली 8 मार्च 2023 को खेली जाएगी. रंगवाली होली को धुलहंडी के नाम से भी जाना जाता है. होली का त्योहार आपसी भाई-चारे और समानता की प्रतीक है. इस दिन लोग अपने तमाम गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गले लगाकर होली की बधाई देते हैं.

होली के रंग में डूबा ब्रज

इस बीच बसंत पंचमी पर्व से ब्रज में होली की शुरुआत हो गई है. इसके बाद से ब्रज में होली को लेकर आनंद और उत्साह का माहौल है. बसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में जमकर गुलाल उड़ाया गया. भक्तों ने अपने आराध्य के प्रसाद रूपी गुलाल से अपने आप को पूरी तरह से सराबोर कर लिया. वहीं ब्रज में करीब 40 दिनों के होली महोत्सव के आयोजनों की लिस्ट भी जारी हो गई है. उत्तर प्रदेश तीर्थ विकास परिषद इस होली के उत्सव को रंगोत्सव का रूप देने में जुटा हुआ है.

ब्रज क्षेत्र में खेली जाने वाली होली आसपास के जिलों और भारत समेत विश्व में भी काफी प्रसिद्ध है. ब्रज क्षेत्र की होली को देखने और इसके रंगों में खुद को सराबोर करने के लिए लाखों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक मथुरा वृंदावन पहुंचते हैं. इनके लिए भी यहां आने के लिए तारीखों की पूरी जानकारी होना जरूरी है.

रंग उत्सव 2023 की शुरुआत 27 फरवरी से होगी. मथुरा और ब्रज में होली को खास तौर से मनाया जाता है. द्वापर युग में राधा-कृष्ण लठ्‌ठमार होली खेलते थे, ये परंपरा आज तक यहां पर निभाई जाती है. इस दौरान नंदगांव से आए ग्वालों पर बरसाना की गोपियां लाठियां भांजती हैं और पुरुष ढाल की मदद से बचने का प्रयास करते हैं. यहां की होली देश-विदेश में भी काफी मशहूर है. इसलिए अगर आप यहां आकर होली का आनंनद लेना चाहते हैं, तो रिजर्वेशन से पहले इन कार्यक्रमों की तारीख के बारें में जरूर जान लें.

Also Read: Mathura Vrindavan Holi Schedule: बरसाने में इस दिन खेली जाएगी लट्ठमार होली, जानिए क्या है खासियत और मान्यता…
रंगोत्सव में होने वाले प्रमुख कार्यक्रम

  • 27 फरवरी बरसाना की लड्डू होली.

  • 28 फरवरी बरसाना लट्ठमार होली.

  • 1 मार्च नंदगांव की लठमार होली.

  • 3 मार्च रंगभरी एकादशी वृंदावन बांके बिहारी मंदिर.

  • 3 मार्च रंगभरी एकादशी श्री कृष्ण जन्म स्थान मंदिर.

  • 4 मार्च गोकुल छड़ी मार होली.

  • 6 मार्च होलिका दहन.

  • 7 मार्च श्री द्वारकाधीश मंदिर होली.

  • 7 मार्च दुल्हेंडी.

  • 8 मार्च दाऊजी का हुरंगा और जॉव का हुरंगा.

  • 9 मार्च बठैन का हुरंगा और गिडोह का हुरंगा.

Exit mobile version