Bareilly News: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के दावेदारों को हाईकोर्ट और सरकार के फैसले से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लेकर मंगलवार को फैसला सुनाया था. मगर, सरकार ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है. शीतकालीन अवकाश के बाद सरकार ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में वक्त लग सकता है.
यूपी में 15 फरवरी 2023 से बोर्ड एग्जाम शुरू हो सकते हैं, जो मार्च के अंत तक चलने की उम्मीद है. ऐसी स्थिति में नगर निकाय चुनाव अप्रैल में होना तय माना जा रहा है. जिसके चलते दावेदार काफी परेशान हैं. नगर निकाय चुनाव के दावेदार करीब 6 महीने से तैयारियों में जुटे हुए थे, तो वहीं सियासी दल भी नगर निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल मानकर मेहनत कर रहे थे. नगर निकाय चुनाव का आरक्षण जारी होने के बाद प्रत्याशियों ने दिल खोलकर मतदाताओं को रिझाने के लिए खर्च करना भी शुरू कर दिया था.
मगर,12 दिसंबर से कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद सुनवाई शुरू हो गई. इससे समय बढ़ता चला गया. अब मामला सुप्रीम कोर्ट ले जाया जा रहा है, जिसके चलते चुनाव टलना तय है. ऐसे में दावेदारों ने खर्च बंद कर दिया है. इसके साथ ही बरेली की निकायों के दावेदारों ने कार्यालय भी बंद कर दिए हैं. वर्ष 2017 नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना 28 अक्टूबर को लगी थी. इसके बाद 22, 26 और 29 नवंबर को 3 चरणों में मतदान हुआ, तो 1 दिसंबर को मतगणना कराई गई थी. मगर इस बार लगातार चुनाव आगे बढ़ रहे हैं. नगर निकायों का कार्यकाल खत्म हो चुका है, तो कुछ का 5 और 8 जनवरी 2023 को खत्म होगा. यूपी की सभी नगर निकायों में प्रशासक बैठने लगे हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों को लेकर फैसला सुनाया है. पीठ ने ओबीसी आरक्षण के बगैर तत्काल स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया. हाईकोर्ट के फैसले के बाद ओबीसी के लिए आरक्षित सभी सीट जनरल हो गई हैं. कोर्ट के 87 पेज के फैसले से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है. अदालत ने निकाय चुनाव के लिए 5 दिसंबर को सरकार के अनंतिम ड्राफ्ट आदेश को खारिज कर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को निकाय चुनावों को बिना ओबीसी आरक्षण के ही कराने के आदेश दिए हैं.
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हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने दाखिल 93 याचिकाओं को मंजूर करके फैसला सुनाया है.कोर्ट ने कहा कि बगैर ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता पूरी किए ओबीसी को कोई आरक्षण नहीं दिया जाएगा.चुनाव की जारी होने वाली अधिसूचना में सांविधानिक प्रावधानों के तहत महिला आरक्षण शामिल होगा.कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि ट्रिपल टेस्ट संबंधी आयोग बनने पर ट्रांसजेंडर्स को पिछड़ा वर्ग में शामिल किए जाने के दावे पर गौर करें.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली