Ayodhya Ram Mandir: कौन हैं रामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज?
मूर्तिकार अरुण योगीराज रामलला की मूर्ति बनाते समय चोटिल भी हुए थे. उनकी पत्नि विजेयता ने बताया, जब यह कार्य (योगीराज को) दिया गया तो हमें पता चला कि इसके लिए उचित पत्थर मैसूरु के पास उपलब्ध है. हालांकि, वह पत्थर बहुत सख्त था. इसकी नुकीली परत उनकी आंख में चुभ गई और उसे ऑपरेशन के जरिए निकाला गया.
अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों की गई. इसे लाखों लोगों ने अपने घरों और देशभर के मंदिरों में टेलीविजन पर देखा. राम मंदिर के गर्भगृह पर रामलला की जिस मूर्ति को स्थापित की गई है, उसे मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई है.
कौन हैं मूर्तिकार अरुण योगीराज
मूर्तिकार अरुण योगीराज कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले हैं. उन्होंने रामलला की मूर्ति को दिव्य और आलौकिक स्वरूप प्रदान करने के लिए दिन रात एक कर दिया था. उन्होंने न आंख पर लगी चोट की परवाह की और न ही नींद की.
पृथ्वी पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं : योगीराज
रामलला की मूर्ति के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कहा, मुझे लगता है कि मैं अब पृथ्वी पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं. मेरे पूर्वजों, परिवार के सदस्यों और भगवान राम लला का आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहा है. कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि मैं भाग्यशाली हूं.
मूर्ति बनाते समय चोटिल हुए थे योगीराज
बताया जाता है कि मूर्तिकार अरुण योगीराज रामलला की मूर्ति बनाते समय चोटिल भी हुए थे. उनकी पत्नि विजेयता ने बताया, जब यह कार्य (योगीराज को) दिया गया तो हमें पता चला कि इसके लिए उचित पत्थर मैसूरु के पास उपलब्ध है. हालांकि, वह पत्थर बहुत सख्त था. इसकी नुकीली परत उनकी आंख में चुभ गई और उसे ऑपरेशन के जरिए निकाला गया. दर्द के दौरान भी वह नहीं रुके और काम करते रहे.
51 इंच की है रामलला की मूर्ति
राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की जिस दिव्य मूर्ति को स्थापित की गई है, वह 51 इंच की है. रामलला की मूर्ति शिला पत्थर से बनाई गई है. पत्थर कई मायनों में खास है. दूध से स्नान कराने पर भी पत्थर में कोई बदलाव नहीं होगा. हजार से अधिक वर्षों तक मूर्ति में कुछ बदलाव नहरं आएगा.
योगीराज के गुरु उनके पिता थे, शंकराचार्य की मूर्ति भी बना चुके हैं
योगीराज ने मूर्तिकला की बारीकियां अपने पिता से सीखीं. योगीराज ने ही केदारनाथ में स्थापित आदि शंकराचार्य की मूर्ति और दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थापित की गई सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा बनाई है.
मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया जा रहा
ट्रस्ट के मुताबिक मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया जा रहा है जिसकी लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है. मंदिर तीन मंजिला है, जिसकी प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची है। इसमें कुल 392 खंभे और 44 दरवाजे हैं.
राम मंदिर परिसर बिजली उपकेंद्र और जलशोधन संयंत्र सहित सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त
अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर भव्य होने के साथ-साथ श्रद्धालुओं के लिए सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस है. मंदिर का अपना जल शोधन संयंत्र और बिजली उपकेंद्र होगा. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने यह जानकारी दी है. ट्रस्ट के अनुसार मंदिर परिसर में एक सीवेज संयंत्र, जल उपचार संयंत्र, अग्नि सुरक्षा के लिए जल आपूर्ति और एक स्वतंत्र बिजली उपकेंद्र है. इसके अलावा 25 हजार लोगों की क्षमता वाले एक तीर्थयात्री सुविधा केंद्र (पीएफसी) का निर्माण किया जा रहा है जिसमें तीर्थयात्रियों के लिए चिकित्सा और लॉकर की सुविधा होगी.