Lucknow News: भाजपा ने मथुरा जिले की सभी पांच विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. मथुरा से श्रीकांत शर्मा को प्रत्याशी बनाया गया है. उत्तर प्रदेश की राजनीति में काशी, अयोध्या और मथुरा का विशेष महत्व है. मथुरा और अयोध्या से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनाव लड़ाने की मांग की जा रही थी. मगर मौका मिला योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री पंडित श्रीकांत शर्मा को. इस गणित को समझने की जरूरत है.
मथुरा से प्रदेश में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को ही दोबारा प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं, गोवर्धन के सिटिंग विधायक कारिंदा सिंह का टिकट कट गया है. उनकी जगह भाजपा ने इस सीट से ठाकुर मेघश्याम सिंह को विधनसभा के चुनावी मैदान में ताल ठोंकने का मौका दिया है. वहीं, मांट से भाजपा नेता एसके शर्मा भी टिकट के दावेदारों में गिना जा रहा था. वे काफी उम्मीद भी लगाए हुए थे. मगर टिकट न मिलने पर उनके समर्थकों में आक्रोश फैल गया. वे एसके शर्मा के आवास पर पहुंचे और भाजपा मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे. खास बात यह है कि पिछले चुनाव मांट से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. वर्तमान में यहां से बसपा के श्याम सुंदर शर्मा विधायक हैं.
हालांकि, मथुरा बेल्ट की सभी विधानसभा सीट में सबसे अहम है मथुरा की सीट. इस सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ को चुनाव लड़ाने की मांग की जा रही थी. कई संतों ने और कुछ स्थानीय नेताओं ने पार्टी के सामने इस बारे में अपना मत भी रखा था. मगर पार्टी आलाकमान प्रदेश के इस महासमर में किसी भी प्रकार का रिस्क लेना उचित नहीं समझा. उन्होंने सीएम योगी को न अयोध्या दिया और न ही मथुरा, वे हर बार की तरह गोरखपुर शहर से चुनाव लड़ेंगे. इसकी भी आधिकारिक घोषणा शनिवार को की गई है.
दरसअल, उत्तर प्रदेश के हिंदूवादी नेताओं ने हमेशा ही प्रदेश की राजनीति का ध्रूवीकरण काशी, अयोध्या और मथुरा के नाम पर ही किया है. काशी विश्वनाथ का मंदिर बनने के साथ ही अयोध्या में रामलला की जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. ऐसे में वृंदावन के बांकेबिहारी भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर का भव्य निर्माण करवाना भाजपा के संकल्पों में से एक है. उन्होंने मौके-मौके पर इस बात को कहने में कोई परहेज नहीं किया है कि समय आने पर मथुरा में भव्य मंदिर का निर्माण होगा. मगर सीएम योगी को वर्तमान में किसी प्रयोग करने से दूर रखते हुए आलाकमान ने पुन: मथुरा की सीट को पंडित श्रीकांत शर्मा को ही दे दिया है.
लखनऊ के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा आम है कि यदि समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच जोरदार टक्कर वाली स्थिति नहीं होती तो सीएम योगी को भाजपा मथुरा से टिकट देकर अपना एजेंडा साफ तौर पर बता सकती थी. मगर वर्तमान चुनावी परिदृश्य में ऐसा कहीं होता हुआ नहीं दिख रहा है. इस फैसले में हाल ही में भाजपा से बगावत करने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बगावत और सपा से गलबहियां करने का भी असर है.