Lucknow: यूपी में वर्तमान में चार में से मात्र एक शिशु को जन्म के एक घंटे के अन्दर स्तनपान कराया जाता है, यह अत्यंत चिंता का विषय है. जबकि प्रदेश में लगभग 84 प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो रहे हैं. इसका मतलब है कि प्रदेश की चिकित्सा इकाइयों में स्तनपान को प्रोत्साहित करने के लिये अधिक प्रयास किये जाने की जरूरत है. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को राजभवन स्थित गांधी सभागार में विश्व स्तनपान सप्ताह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में यह बातें कही.
राज्यपाल ने कहा कि मां का दूध बच्चों को बाल्यकाल में होने वाली सभी बीमारियों जैसे डायरिया, निमोनिया आदि से भी बचाता है. हमें माताओं को भी बताना होगा कि वे अपने शिशुओं को स्तनपान कराकर कुपोषण एवं अन्य रोगों से बचा सकती हैं. उन्होंने कहा कि विश्वस्तर पर मां के दूध को सर्वोत्तम आहार मानते हुए शिशु को स्तनपान कराने के लिए वृहद अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन ये गंभीर चिंता का विषय है कि यूपी में मां के द्वारा स्तनपान कराने के प्रतिशत में वृद्धि नहीं हुई है. इस दिशा में अभियान के साथ कार्य करने की जरूरत है.
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सरकारी, गैर सरकारी अस्पतालों और घरों में होने वाले प्रसव के अलग-अलग आंकड़े निकालने पर जोर दिया. इससे पता चल सकेगा कि स्तनपान न कराने की प्रवृत्ति किस जगह अधिक है. जहां कमी है वहीं पर कार्य करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में हुए प्रसव में शत-प्रतिशत शिशुओं को स्तनपान कराने की जानकारी दी जाये. सीएचसी, पीएचसी, जनपदीय अस्पतालों और प्रसव केंद्रों पर एक बोर्ड लगाया जाये. जिस पर उस दिन होने वाले प्रसव और स्तनपान कराने का समय अंकित किया जाये.
राज्यपाल ने सुझाव दिया कि ग्रामीण स्तर तक होने वाले संस्थागत प्रसवों की जानकारी के लिए एप विकसित कर लिया जाये. जिसमें प्रसव के बाद शिशु को स्तनपान की जानकारी भी ली जाये. गांवों में होने वाले गैर संस्थागत प्रसव की जानकारी के लिए उन्होंने ग्राम-प्रधानों से संपर्क करने के लिये कहा. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस मौके पर स्तनपान को प्रोत्साहन देने वाले पोस्टर का विमोचन भी किया.
उपमुख्यमंत्री और चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि शिशुओं के स्वास्थ्य को मजबूत बनाने की प्राकृतिक क्षमता के लिए स्तनपान में वृद्धि न होना चिंता का विषय है. हमें इस दिशा में समाज और विशेष रूप माताओं को जागरूक करने की जरूरत है. राज्य मंत्री मंयकेश्वर शरण ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में यह आंकड़ा शहरी क्षेत्रों में कम है. पढ़ी-लिखी महिलाएं ही भ्रांतियों के कारण इस कार्य से पीछे हट रही हैं, जिन्हे प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है.
केजीएमयू लखनऊ की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. माला कुमार ने बताया कि राज्य में प्रति 10 बच्चों में केवल 06 बच्चे ही 6 माह तक मां का दूध प्राप्त कर रहे है. जन्मदर में 24 प्रतिशत बच्चे ही पहले एक घंटे के भीतर मां का दूध पा रहे हैं. जबकि 80 प्रतिशत प्रसव अस्पतालों में हो रहे हैं. जन्म के बाद का एक घंटा ही स्तनपान की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. जिसे बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है.