Lucknow: देश भर के चिकित्सकों, अर्थशास्त्रियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता करने वालों ने 2023-24 के वार्षिक बजट में सिगरेट पर राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क (NCCD) को बढ़ाकर 16 प्रतिशत करने की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणा का स्वागत किया है. प्रतिबंधित सिगरेट पर एनसीसीडी को पिछली बार तीन साल पहले संशोधित किया गया था. तंबाकू महंगी होने से इसके सेवन में कमी आती है.
वालंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया की मुख्य कार्यकारी भावना मुखोपाध्याय ने कहा कि केंद्र सरकार के बजट में तंबाकू उत्पादों पर एनसीसीडी बढ़ाना सरकार का एक स्वागत योग्य कदम है. हालांकि प्रतिशत वृद्धि न्यूनतम है. हम आशा करते हैं कि भविष्य में वित्त मंत्री उल्लेखनीय वृद्धि सुनिश्चित करेंगी. क्षतिपूर्ति उपकर (compensation cess) के साथ तंबाकू उत्पादों पर वर्तमान जीएसटी (GST) दरें बहुत कम हैं.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सभी तंबाकू उत्पादों के लिए खुदरा मूल्य के कम से कम 75% टैक्स लगाने की सिफारिश की है. वर्तमान में सिगरेट पर लगभग 53%, बीड़ी पर 22% और धुआं रहित तंबाकू के लिए 60% टैक्स है. अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के अनुसार तंबाकू के उपयोग को कम करने के लिए टैक्स वृद्धि सबसे प्रभावी नीति है. तंबाकू महंगी होने से उसे खाने की सामर्थ्य घटती है. उपयोगकर्ता तंबाकू सेवन छोड़ने के लिए प्रोत्साहित होते हैं. गैर-उपयोगकर्ता तंबाकू खाना शुरू नहीं करते हैं. जो लोग लगातार तंबाकू खाते हैं, वह इसकी मात्रा कम करते हैं.
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. अरविंद मोहन ने कहा केंद्रीय बजट में तंबाकू उत्पादों पर एनसीसीडी बढ़ाना एक स्वागत योग्य कदम है. यदि भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है, तो सरकार को तंबाकू उत्पादों के सेवन के सामर्थ्य को नियंत्रण में रखने के लिए इन शुल्कों को समय-समय पर संशोधित करना चाहिए.
स्वास्थ्य पर संसद की स्थायी समिति के अनुसार भारत में सबसे अधिक मृत्यु तंबाकू के कारण होने वाले मुंह के कैंसर, इसके बाद फेफड़े, पेट के कैंसर के कारण होता है. तंबाकू का उपयोग कैंसर से जुड़े सबसे प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है. इन खतरनाक टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए, समिति ने नोट किया है कि भारत में तंबाकू उत्पादों की कीमतें सबसे कम हैं और तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने की आवश्यकता है. समिति ने सिफारिश की है कि सरकार तंबाकू पर टैक्स बढ़ाकर कैंसर की रोकथाम और जागरूकता को बढ़ाये.
मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर के अध्यक्ष डॉ. हरित चतुर्वेदी ने कहा कि तंबाकू उत्पादों को महंगा करने से वह उपभोगकर्ताओं की पहुंच से बाहर होते हैं. भारत में 13 लाख लोग हर साल तंबाकू से संबंधित बीमारियों से मर जाते हैं. लगभग 27% कैंसर तंबाकू के कारण होते हैं. 2017-18 में तंबाकू के उपयोग से होने वाली सभी बीमारियों और मौतों की वार्षिक आर्थिक लागत 177,341 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 1% है.