Lucknow: चिकित्सा क्षेत्र में औषधियों की विश्वसनीयता, गुणवत्ता व सही सलाह जरूरी है. फार्मेसिस्ट दवाओं का विशेषज्ञ होने के साथ ड्रग काउंसलर भी है. वर्तमान परिदृश्य में औषधियों की खोज के बाद, सही भंडारण, सही वितरण और सही सलाह से मानव जीवन को बचाया जा सकता है. विश्व फार्मेसिस्ट दिवस 2022 को ‘स्वस्थ दुनिया के लिए फार्मेसी एकजुट’ थीम के साथ मनाया जाएगा. विश्व फार्मेसी दिवस की पूर्व संध्या पर यह बातें स्टेट फार्मेसी कांउसिल के पूर्व चेयरमैन सुनील यादव ने कही.
स्टेट फार्मेसी कॉउंसिल उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व चेयरमैन और फार्मेसिस्ट फेडरेशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि प्रदेश का पूरा फार्मेसी समाज एकजुट होकर देश की स्वास्थ्य सुरक्षा में लग गया है. जरूरत है कि शासन और सरकार इस महत्वपूर्ण संवर्ग को उचित सम्मान और स्थान दे. जिससे फार्मेसी और विकसित हो सके. साथ ही रोजगार के अवसर मिल सकें.
उन्होंने कहा कि अनुसंधान संस्थानों में वैज्ञानिक, ड्रग एनालिस्ट, फूड एंड ड्रग विभाग में ड्रग कंट्रोलर औषधि आयुक्त, सहायक औषधि आयुक्त, ड्रग इंस्पेक्टर, ड्रग लाइसेंसिंग ऑफिसर, शिक्षण संस्थानों के निदेशक प्रोफेसर, लैब फार्मेसिस्ट, हॉस्पिटल फार्मेसिस्ट, मेडिकल स्टोर फार्मेसिस्ट, क्लीनिकल फार्मेसिस्ट, इंडस्ट्री में मैन्युफैक्चरिंग फार्मेसिस्ट, मार्केटिंग फार्मेसिस्ट, छात्र फार्मेसिस्ट अब देश के नागरिकों की स्वास्थ्य रक्षा के एकजुट हो रहे हैं, पूरा फार्मेसी जगत एकजुट होकर जनकल्याण में जुटा है.
सुनील यादव ने कहा कि कोविड संक्रमण काल मे फार्मेसिस्टों ने ‘मास्टर की’ के रूप में अपने आप को प्रस्तुत किया. फार्मेसिस्टों ने बदलते ग्लोबल परिवेश में खुद को बदला है. कोविड काल में फार्मेसिस्ट मरीजों की ट्रेसिंग, और टेस्टिंग कर धनात्मक मरीजों की पहचान की. सभी सर्वे टीम और टेस्टिंग टीम में फार्मेसिस्ट ने प्रमुख रूप से कार्य किया. सभी कोविड-चिकित्सालयों और नानकोविड-चिकित्सालयों में औषधियों की आपूर्ति, मरीजों को औषधि देना व उनकी काउंसलिंग करने में फार्मेसिस्ट की प्रमुख भूमिका रही है.
उन्होंने बताया कि भारत में लगभग 15 लाख डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर, पीएचडी फार्मेसी के साथ फार्म डी की शिक्षा प्राप्त फार्मेसिस्ट हैं. यूपी में सवा लाख फार्मेसिस्ट पंजीकृत हैं. जो समाज में अपनी सेवा दे रहे हैं. फार्मेसी चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ होती है. इसके बावजूद अस्पतालों में अभी तक भर्ती मरीजों के लिए व्यवहारिक रूप से फार्मेसिस्ट के पद सृजित नहीं हो रहे हैं. ओपीडी में भी मानकों का पूरा पालन नहीं हो रहा है. ‘फार्मेसी’ लोगों के जिंदगी से जुड़ी है, इसलिए इसे मजबूत किया जाना जरूरी है.