World Pneumonia Day 2022: वर्ल्ड निमोनिया डे हर साल 12 नवबंर यानी आज के दिन मनाया जाता है. इसका उद्देश्य निमोनिया वायरस से लोगों को सावधान और जागरूक करना है. इस वायरस की शुरुआत सर्दी, जुकाम और खांसी से होती है. यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो हमारे फेफड़ों पर सीधा अटैक करता है. चलिए जानते हैं क्या है वर्ल्ड निमोनिया डे का इतिहास? और उद्देश्य…
निमोनिया वायरस किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन भारत में इसका असर सबसे ज्यादा बच्चों पर देखने को मिलती है. डब्ल्यूएचओ (WHO) की माने तो, देशभर में निमोनिया की चपेट में लाखों लोग आते हैं, लेकिन भारत में हर साल 1 लाख से अधिक बच्चों की मौत इस बीमारी से होती है.
वर्ल्ड निमोनिया डे की शुरुआत 12 नवंबर 2009 को ‘ग्लोबल कोएलिशन अगेंस्ट चाइल्ड निमोनिया’ ने गई थी. इसका लक्ष्य पूरे देश में निमोनिया से होने वाली मृत्यु दरों पर काबू पाना था, और लोगों को इसके बारे में जागरुक करना था. तब से लेकर अभी तक कई देश और करीब 100 से अधिक संस्थाएं इस मुहीम के साथ जुड़ चुकी हैं.
वर्ल्ड निमोनिया डे का उद्देश्य गरीब लोगों को इस वायरस के लक्षण और उपचार के बारे में जागरुक करना है. ताकि दुनियाभर में लाखों की संख्या में बच्चों को इस खतरनाक बीमारी से बचाया जा सके.
निमोनिया का सीधा असर फेफड़ों पर होता है. इसमें खतरनाक बैक्टीरियां पाया जाता है, जो धीरे-धीरे फेफड़ों पर असर करता है. जिसके कारण फेफड़े में लिक्विड जमा हो जाता है जो खून और ऑक्सीजन के फ्लो को रोकता है. अगर आपको बलगम वाली खांसी, सीने में तेज दर्द, बुखार और सांस लेते में दिक्कत हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि यहीं निमोनिया के प्रमुख लक्षण हैं.
हर साल निमोनिया डे का अलग-अलग थीम होता है. इस साल यानी 2022 में वर्ल्ड निमोनिया डे 2022 की थीम ‘निमोनिया के खिलाफ लड़ाई को चैंपियन बनाना’ है.