यूपी में सरकारी अस्पतालों और उनमें तैनात अधिकारियों के नाम उर्दू में लिखने का क्यों आया आदेश?

यह आदेश यूपी सरकार में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निदेशक की ओर से प्रदेश के सभी जिलों के सीएमओ को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है. संयुक्त निदेशक की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि चिकित्सा अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम, पदनाम भी उर्दू में लिखे जाएं.

By Neeraj Tiwari | September 9, 2022 4:04 PM
an image

Urdu In UP: उत्तर प्रदेश में उर्दू को बढ़ावा देने के लिए एक शासनादेश काफी चर्चा में आ गया है. यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों, जिला हॉस्पिटल, सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के भवनों के नाम उर्दू में लिखवाए जाएं. सरकार ने यह आदेश उन्नाव के रहने वाले मोहम्मद हारून की ओर से की गई एक कंप्लेन पर संज्ञान लेते हुए दिया है. हारून ने कहा था कि कई सरकारी विभाग उर्दू को दरकिनार कर रहे हैं जबकि उर्दू प्रदेश की दूसरी राजभाषा है. यहां यह जानना जरूरी है कि उर्दू को उत्तर प्रदेश में दूसरी राजभाषा का दर्जा 1989 एक्ट का अमेंडमेंट करते हुए राजभाषा अधिनियम 1951 की धारा 3 को जोड़कर दिया था.

प्रदेश की द्वितीय राजभाषा है उर्दू

यह आदेश यूपी सरकार में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निदेशक की ओर से प्रदेश के सभी जिलों के सीएमओ को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है. संयुक्त निदेशक की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि चिकित्सा अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम, पदनाम भी उर्दू में लिखे जाएं. प्रदेश की द्वितीय राजभाषा उर्दू है. इसको लेकर यह आदेश शासन की ओर से जारी का गया है.

हर समुदाय को साधने की कवायद

इस संबंध में सियासी गलियारों में चर्चा की जा रही है कि साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी किसी भी वर्ग की नाराजगी नहीं चाहती है. ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ वाले स्लोगन के जरिए हर वर्ग और समुदाय को साधने की जुगत रही भाजपा ने उर्दू को बढ़ावा देते हुए एक सियासी चाल चली है. योगी सरकार की ओर से यह संदेश दिया जा रहा है कि सरकार में हर समुदाय और वर्ग को साथ लेकर चलने की कवायद की जा रही है.

क्या कहा गया है आदेश में…

यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में सरकारी अस्पतालों के नाम अब हिंदी के साथ-साथ उर्दू में भी लिखने का आदेश जारी किया गया है. आदेश में साफ किया गया है कि प्रदेश में अब हिंदी के साथ उर्दू में भी अस्पतालों के नाम लिखे जाएंगे. सभी जिला अस्पतालों और सीएचसी- पीएचसी के भवनों के नाम हिंदी के साथ उर्दू में भी होंगे. स्वास्थ्य निदेशक की ओर से इस संबंध में सभी सीएमओ को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. सरकार की ओर से जारी आदेश में भवनों के नाम के साथ-साथ चिकित्सकों और कर्मचारियों के नाम और पदनाम भी हिंदी के साथ उर्दू में भी लिखने के निर्देश दिए गए हैं.

मदरसा सर्वे को लेकर मायावती साध चुकी हैं निशाना

रोचक बात यह है कि यह आदेश भी तब आया है जब योगी सरकार पर मदरसा को लेकर कुछ कड़े कदम उठाये जा रहे हैं. हाल ही में बसपा सुप्रीमो ने मदरसा सर्वे को लेकर बीजेपी सरकार पर हमला करते हुए ट्वीट किया कि मुस्लिम समाज के शोषित, उपेक्षित व दंगा-पीड़ित होने आदि की शिकायत कांग्रेस के ज़माने में आम रही है. फिर भी बीजेपी द्वारा ‘तुष्टीकरण’ के नाम पर संकीर्ण राजनीति करके सत्ता में आ जाने के बाद अब इनके दमन व अतंकित करने (Muslim teasing) का खेल अनवरत जारी है, जो अति-दुःखद व निन्दनीय है. इसके आगे उन्होंने कहा है कि अब यूपी में मदरसों पर भाजपा सरकार की टेढ़ी नजर है. मदरसा सर्वे के नाम पर कौम के चंदे पर चलने वाले निजी मदरसों में भी हस्तक्षेप करने का अनुचित प्रयास कर रही है जबकि सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसों व सरकारी स्कूलों की बदतर हालत को सुधारने पर सरकार को ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

Exit mobile version