Lakhimpur Kheri Case: लखीमपुर खीरी हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई. इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि उसने आशीष मिश्रा की जमानत का विरोध किया था. याचिकाकर्ता ने जो आरोप लगाये हैं, वह गलत है.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सरकार ने लखीमपुर खीरी मामले के गवाहों और पीड़ितों के परिवारों की सुरक्षा का पूरी तरह ध्यान रखा है. उनकी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये गये हैं. गवाहों से भी लगातार संपर्क किया जा रहा है.
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दरअसल, आशीष मिश्रा को विधानसभा चुनाव के दौरान 10 फरवरी को जमानत मिली थी, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. यह याचिका लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ित परिवारों की ओर से दाखिल की गई, जिसमें कहा गया कि हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा को जमानत देते समय शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देशों की अवहेलना की है.
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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च को आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था. यह नोटिस मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने जारी की और कहा कि राज्य सरकार सभी गवाहों को सुरक्षा दे. शीर्ष अदालत ने ऐसा इसलिए कहा, क्यों कि आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार गवाहों को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दे पा रही है, जिसके चलते एक गवाह पर आशीष के जेल से छूटने के बाद हमला भी हुआ. राज्य सरकार ने कहा कि उसने 98 गवाहों को सुरक्षा दी है. जिस गवाह पर हमला होने की बात कही जा रही है, वह होली के दिन दो पक्षों के बीच मारपीट का मामला है.
बता दें, तीन अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी गई थी. इसमें आरोप केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर लगा, जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इस मामले में एसआईटी ने पांच हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी. इनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, अंग भंग की धाराओं समेत आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई की गई.