योगी सरकार का बड़ा फैसला, उद्योगों को श्रम अधिनियम में मिली तीन साल की छूट

देश में कोरोना वायरस के संकट के चलते उद्योगों के आगे आई समस्या के चलते उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने श्रम अधिनियम में 3 साल तक की छूट दी है.

By Rajat Kumar | May 8, 2020 11:01 AM

लखनऊ: द‍ेश में कोरोना वायरस के संकट के चलते उद्योगों के आगे आई समस्या के चलते उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने श्रम अधिनियम में 3 साल तक की छूट दी है. सरकार ने 7 मई को घोषणा की कि सभी उद्योगों को अगले तीन वर्षों के लिए लगभग सभी श्रम कानूनों से छूट दी जाएगी. यह छूट अस्थाई होगी. अस्थाई छूट के लिए अध्यादेश 2020 के मसौदे को कैबिनेट ने मंजूरी दी है.

गौरतलब है कि योगी सरकार ने यह निर्णय औद्योगिक गतिविधियों को पटरी पर लाने और नए निवेश के अवसर पैदा करने के लिए लिया है. यह छूट फिलहाल तीन साल की अवधि के लिए अस्थायी तौर पर लागू होगी. सरकार की ओर से जारी एक प्रेस नोट में कहा गया है, कोविड-19 वायरस महामारी के प्रकोप ने प्रदेश में औद्योगिक क्रियाकलापों व आर्थिक गतिविधियों को बुरी तरह से प्रभावित किया है, जिससे उनकी रफ्तार धीमी पड़ गई है. लॉकडाउन की लंबी अवधि में औद्योगिक प्रतिष्ठान, कारखाने व उनसे जुड़े औद्योगिक क्रियाकलाप और उत्पादन लगभग बंद रहे हैं. इन्हें फिर से पटरी पर लाने के साथ ही औद्योगिक निवेश के नए अवसर पैदा करने होंगे.

बयान में कहा गया है कि सरकार ने कारखानों, व्यवसायों, प्रतिष्ठानों और उद्योगों को सभी के दायरे से मुक्त करने के लिए ‘कुछ श्रम कानूनों के अध्यादेश, 2020 से उत्तर प्रदेश अस्थायी छूट’ को मंजूरी दे दी थी, लेकिन तीन श्रम कानून और तीन साल के लिए किसी अन्य अधिनियम का एक प्रावधान. उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार राज्य में 38 श्रम कानून लागू हैं. किसी भी उद्योग के खिलाफ लेबर डिपार्टमेंट एनफोर्समेंट नियम के तहत कार्रवाई नहीं की जाएगी. इस दौरान श्रम विभाग का प्रवर्तन दल श्रम कानून के अनुपालन के लिए उनके यहां नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि जो उद्योग कोरोना महासंकट के चलते बंद हैं या कमजोर हैं, उन्हें श्रम कानून में नरमी से फिर से चालू किया जा सकेगा.

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