उपद्रवियों पर बुलडोजर एक्शन को लेकर योगी सरकार ने SC में दिया हलफनामा, कहा- अवैध निर्माण पर हुई कार्रवाई
UP News: उत्तर प्रदेश में अवैध निर्माण पर जारी बुलडोजर कार्रवाई को लेकर योगी सरकान ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. सरकार ने कोर्ट को बताया कि, सरकार ने अलग-अलग क़ानून के तहत ही दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई की है.
UP News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि हाल ही में राज्य में की गई संपत्तियों को उचित प्रक्रिया के बाद गिराया गया था और इसका दंगा करने के आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने से कोई लेना-देना नहीं था. सरकार ने अलग-अलग क़ानूनों के अनुसार दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई की है.
Uttar Pradesh | UP govt tells SC that recent demolitions of properties carried out in the state were done following due process & were in no way related to taking action against persons accused of rioting. Govt has taken action against rioters as per a different set of statutes. pic.twitter.com/ghVsxc9CB6
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 22, 2022
इसके अलावा, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि, याचिकाकर्ता जमीयत उलमा-ए-हिंद ने चुनिंदा मीडिया रिपोर्टों को चुना है और उनके द्वारा लगाए गए आरोप झूठे हैं. सरकार ने SC से याचिका खारिज करने का भी आग्रह किया है. सरकार ने कोर्ट में अपनी बात रखते हुए स्पष्ट कर दिया है कि, जिन संपत्तियों का ध्वस्तीकरण किया गया है, वे अवैध थीं. नगर निगम के नियमों के तहत ही यह कार्रवाई की गई है.
‘कानूनों के तहत की जा रही कार्रवाई’यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि, दंगों में शामिल होने वालों पर बुलडोजर की कार्रवाई नहीं की गई है. दंगा करने वाले लोगों पर अलग कानूनों के तहत कार्रवाई की जा रही है. सरकार ने कोर्ट को बताया कि, पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के विरोध में दंगा करने वालों को सजा देने के लिए यह कार्रवाई नहीं की गई है, बल्कि अवैध निर्माणों को ही ढहाया है. साथ जिन लोगों पर कार्रवाई की गई है, उन्हें अपनी बात रखने का भी मौका दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा था जवाबसुपीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए योगी सरकार ने बताया कि, कानपुर और प्रयागराज में हुई बुलडोजर की कार्रवाई पूरी तरह से सही है. दरअसल, योगी सरकार की बुलडोजर कार्रवाई को लेकर 16 जून को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था, जिसके जवाब में सरकार ने अपनी बात रखी.