Mathura Holi 2023: हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहार होली की बात हो, और उसमें ब्रजमंडल का जिक्र ना हो तो यह त्यौहार पूरा नहीं हो पाता. वैसे तो पूरे विश्व में होली मनाई जाती है, लेकिन ब्रज क्षेत्र की होली सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस वर्ष 3 मार्च को मथुरा के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर में रंगभरी एकादशी के दिन होली का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा. वैसे तो होली के उत्सव की शुरुआत 27 फरवरी से हो जाएगी, लेकिन रंगभरी एकादशी के दिन बांके बिहारी मंदिर में इसे खास तरह से बनाया जाता है.
3 मार्च को रंगभरी एकादशी के दिन बांके बिहारी मंदिर में सभी के आराध्य बांके बिहारी को शुद्ध केसर से बनाए गए रंग से रंगा जाएगा. उसके बाद होली का परंपरागत शुभारंभ हो जाएगा. बांके बिहारी मंदिर में टेसू के रंगों के साथ-साथ चौव्वा, चंदन के अलावा अबीर गुलाल से होली खेली जाती है.
बांके बिहारी मंदिर में खेली जाने वाली रंगभरी एकादशी का अपना महत्वपूर्ण इतिहास है. बताया जाता है कि रंगभरी एकादशी के दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा की जाती है. इस दिन वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष रूप से पूजा होती है. जिसमें भगवान शिव और मां पार्वती को गुलाल लगाया जाता है, और रंगों की होली खेली जाती है. रंग भरी एकादशी के दिन काशी के राजा बाबा विश्वनाथ, माता गौरा संग पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण करते हैं.
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बताया जाता है कि आज के दिन ही भगवान शिव माता, पार्वती को पहली बार अपनी नगरी काशी लेकर आए थे. ऐसा माना जाता है कि रंगभरी एकादशी के दिन माता पार्वती से विवाह के बाद पहली बार भगवान शिव उनका गौना कराकर अपने संग काशी नगरी लाए थे. जिसके बाद भक्तों ने भगवान शिव और माता पार्वती का स्वागत गुलाल से किया था. और उस दिन फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी. जिसके बाद से ही इस दिन को लोग रंगभरी एकादशी के नाम से भी जानने लगे. रंगभरी एकादशी पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. और काशी नगर में भगवान शिव की बारात निकाली जाती है.