Loading election data...

UP News: फतेहपुर सीकरी कामाख्या मंदिर या फिर दरगाह, आगरा की कोर्ट में याचिका दाखिल

UP News फतेहपुर सीकरी में दरगाह है या फिर कामाख्या मंदिर, अब इसको लेकर विवाद हो गया है. इस मामले में आगरा के कोर्ट में एक याचिका फाइल की गई है.

By Amit Yadav | May 9, 2024 8:36 PM

आगरा: (UP News) फतेहपुर सीकरी (Fatehpur Sikri) में स्थित सलीम चिश्ती की दरगाह को लेकर आगरा कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि सलीम चिश्ती की दरगाह कामाख्या माता का मंदिर है और जामा मस्जिद कामाख्या मंदिर का परिसर है. कोर्ट ने याचिका का संज्ञान लेते हुए नोटिस इश्यू करने का आदेश दिया है. साथ ही सुनवाई की तिथि ई-कोर्ट पर देखने के लिए कहा गया है. गुरुवार को सुनवाई में एडवोकेट अजय प्रताप सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ, अजय सिकरवार और अभिनव कुलश्रेष्ठ मौजूद थे.

फतेहपुर नहीं विजयपुर सीकरी था नाम
याचिकाकर्ता एडवोकेट अजय प्रताप सिंह के अनुसार (UP News) फतेहपुर सीकरी का मूल नाम सीकरी है. जिसे विजयपुर सीकरी भी कहते थे. यहां सिकरवार क्षत्रियों को राज्य था. ये संपत्ति माता कामख्या देवी का गर्भ और मंदिर परिसर था. फतेहपुर सीकरी को अकबर बने बसाया ये पूरी तरह से झूठ है. बाबरनामा में सीकरी का उल्लेख किया था. यहां दक्षिण पश्चिम में कुआं है और दक्षिण पूर्वी हिस्से में गरीब घर है. इसके निर्माण के बारे में बाबर ने उल्लेख किया है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अभिलेख में भी यही जानकारी दी गई है.

पुरातत्विद ने अपनी किताब में दी है जानकारी
याचिकाकर्ता के अनुसार (UP News) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीक्षण पुरातत्वविद डीबी शर्मा ने अपने कार्यकाल में फतेहपुर सीकरी (Fatehpur Sikri) के बीर छबीली टीले की खुदाई की. यहां उन्हें 1000 ईस्वी का सरस्वती और जैन मूर्तियां मिली थी. उन्होंने अपनी किताब आर्कियोलॉजी ऑफ फतेहपुर सीकरी न्यूज डिस्कवरीज में इसकी जानकारी दी है. उन्होंने अपनी किताब में इस संपत्ति को हिंदू व जैन मंदिर का अवशेष बताया है. अजय प्रताप सिंह के अनुसार खानवा युद्ध को समय सीकरी के राजा राव धामदेव थे. जब राणा सांगा युद्ध में घायल हो गबए तो राम धामदेव माता कामाख्या के प्राण प्रतिष्ठित विग्रह को ऊंट पर रखकर पूर्व दिशा की ओर चले गए. यूपी की गाजीपुर जिले के सकराडीह में कामाख्या माता का मंदिर बनाकर इस विग्रह को दोबारा स्थापित किया है. इसकी जानकारी राव धामदेव के राजकवि विद्याधर ने अपनी किताब में किया है.

मंदिर को बदला नहीं जा सकता
याचिकाकर्ता के अनुसार भारतीय कानून कहता है कि यदि मंदिर प्राण प्रतिष्ठित हो गया है तो वो मंदिर ही रहेगा. इस केस में माता कामाख्या, आस्थान माता कामाख्या, आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट, योगेश्वर श्रीकृष्ण सांस्कृतिक अनुसंधान संस्थान ट्रस्ट, क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट वादी हैं. वाद जस्टिस मृत्युंजय श्रीवास्तव की कोर्ट में दाखिल किया गया है.

Next Article

Exit mobile version