Aligarh News: लोक अदालत में 15 हजार 528 मामलों का निस्तारण, 30 करोड़ 22 लाख 96 हजार की वसूली
अलीगढ़ में लोक अदालत में विभिन्न न्यायालयों में लम्बित एवं प्रीलिटिगेशन के 15528 मामलों का निपटारा आपसी सुलह समझौता के आधार पर कर 30 करोड़ 22 लाख 96 हजार 724 रुपए वसूले गए. सबसे ज्यादा 3045 मामलों का निपटारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने किया.
Aligarh News: जिला न्यायालय, वाह्य न्यायालय, तहसील न्यायालयों में लगी लोक अदालतों ने 15 हजार 528 मामलों में से 30 करोड़ 22 लाख 96 हजार 724 रुपये वसूले. सबसे ज्यादा 3045 मामलों का निपटारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने किया.
लोक अदालत में 15 हजार 528 मामलों का निस्तारण
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, यूपी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशन में जिला न्यायालय, वाह्य न्यायालय, तहसील न्यायालयों में लोक अदालत का आयोजन किया गया. जिला न्यायाधीश डॉ. बब्बू सारंग ने दीवानी न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ किया. लोक अदालत में विभिन्न न्यायालयों में लम्बित एवं प्रीलिटिगेशन के 15528 मामलों का निपटारा आपसी सुलह समझौता के आधार पर कर 30 करोड़ 22 लाख 96 हजार 724 रुपए वसूले.
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इतने मामलों से हुई वसूली
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न्यायालयों में लंबित विभिन्न प्रकृति के 6719 मामलों से 21,16,66,387 की वसूली
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बैंक वित्तीय संस्था दूरभाष मोबाइल कंपनी के 8809 मामलों में 9,06,30,337 की वसूली
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वाणिज्यिक के 18 मामलों में 28690271 की वसूली
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पारिवारिक व वैवाहिक के 136 व 332 मोटर यान दुर्घटना प्रतिकर मामलों में 119517500 की वसूली
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विद्युत अधिनियम के 310 मामलों में 11,01,000 की वसूली
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लघु फौजदारी के 3045 मामलों में 12,19,150 की वसूली
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चेक बाउंस के 120 मामलों में 91,37,049 की वसूली
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अन्य मामलों सहित 15,528 मामलों का निपटारा आपसी सुलह समझौता के आधार पर कर 30 करोड़ 22 लाख 96 हजार 724 रुपये वसूले.
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लोक अदालत क्या है
लोक अदालत एक ऐसा मंच है, जहां वह मामले, जो न्यायालय में लंबित हैं या अभी न्यायालय में रखे नहीं गए हैं, उनको जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में सुलह समझौता के आधार पर निस्तारित किया जाता है. लोक अदालत का शाब्दिक अर्थ जनता का न्यायालय है. लोक अदालत त्वरित व कम खर्चीली न्याय का एक वैकल्पिक व्यवस्था है.
स्वतंत्रता के बाद 1942 में गुजरात में पहली लोक अदालत लगाई गई थी. लोक अदालत को वैधानिक दर्जा देने के लिए वैधानिक सेवाएं प्राधिकरण अधिनियम 1987 को पारित किया गया था. इसके बाद लोक अदालत को वैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ था.
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रिपोर्ट- चमन शर्मा, अलीगढ़