Jhansi: झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में गत शुक्रवार को आग लगने की घटना में बचाए गए 39 बच्चों में से एक और शिशु की मौत हो गई है. मेडिकल कॉलेज के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रविवार रात को हुई यह मौत बीमारी के कारण हुई है और इसका आग की घटना से कोई संबंध नहीं है. इससे पहले, रविवार को भी बचाए गए बच्चों में से एक बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो गई थी.
बच्चे की मौत का आग की घटना से कोई संबंध नहीं
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर नरेंद्र सिंह सेंगर ने बताया, ”शुक्रवार रात एनआईसीयू में आग लगने की घटना में बचाए गए 39 बच्चों में से एक और की मौत हो गई. इस बच्चे का जन्म जालौन में हुआ था. उसे बीमारी के कारण जालौन से झांसी रेफर किया गया था.” उन्होंने बताया कि उसे ‘हाइपोक्सिक-इस्केमिक इंसेफैलोपैथी’ (एक प्रकार की मस्तिष्क क्षति) की समस्या भी थी तथा बच्चे की मौत बीमारी के कारण हुई और उसका आग की घटना से कोई संबंध नहीं है.
10 बच्चों की दम घुटने से हुई मौत
सेंगर ने बताया कि शुक्रवार देर रात एनआईसीयू में अचानक आग लग गई थी तथा उस वक्त वहां 49 बच्चे भर्ती थे जिनमें से 39 बच्चों को बचा लिया गया था जबकि 10 की दम घुटने या जलने से मौत हो गई थी. उन्होंने बताया कि 37 बच्चे अब भी उपचाराधीन हैं. सेंगर ने यह भी बताया कि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा महानिदेशक ने अपनी टीम के साथ सोमवार को घटना की जांच के लिए मेडिकल कॉलेज का दौरा किया. निरीक्षण में आग से प्रभावित एनआईसीयू की गहन समीक्षा भी शामिल थी. आग से हुए नुकसान के बारे में पूछे जाने पर सेंगर ने कहा, ”आग से हुए कुल नुकसान का अनुमान लगाना फिलहाल बहुत मुश्किल है.”
सरकार ने सात दिनों के भीतर मांगी रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में अहम चिकित्सा सुविधाओं में शामिल इस एनआईसीयू में लगी आग ने स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में सुरक्षा प्रोटोकॉल को लेकर चिंताएं पैदा कर दी हैं. आग के कारणों और त्रासदी के लिए जवाबदेही की जांच जारी है. उत्तर प्रदेश सरकार ने अस्पताल में लगी आग की जांच के लिए शनिवार को चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति को आग के कारणों की पहचान करने और यह निर्धारित करने का काम सौंपा गया है कि क्या इसमें कोई लापरवाही थी. सरकार ने सात दिनों के भीतर इसकी रिपोर्ट मांगी है.
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