बैरिया में कटान पीड़ितों के अब तक नहीं बदले हालात

बैरिया : प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक बदलते रहे लेकिन गंगा तटवर्ती गांव के बाढ़ व कटान पीड़ितों के हालात नहीं बदले. हर साल बाढ़ के पानी से खेतों का जल प्लावित हो जाना, कटान की कटार से घरों का नेस्तनाबूद होना और बंधे पर शरण लेना, बाढ़ से घिरे गांव से नाव के सहारे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2019 2:26 AM

बैरिया : प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक बदलते रहे लेकिन गंगा तटवर्ती गांव के बाढ़ व कटान पीड़ितों के हालात नहीं बदले. हर साल बाढ़ के पानी से खेतों का जल प्लावित हो जाना, कटान की कटार से घरों का नेस्तनाबूद होना और बंधे पर शरण लेना, बाढ़ से घिरे गांव से नाव के सहारे बंधे तक आना, गरीब तो गरीब अच्छे खासे परिवारों के लोगों को लजाते सकुचाते हुए सरकार व समाजसेवियों द्वारा दिये जाने वाले भोजन के पैकेट को लेना तटवर्ती लोगों की नियति बन गयी है.

गौरतलब है कि गंगा के बाढ़ व कटान से दुबेछपरा, गोपालपुर, उदईछपरा को बचाने के लिए कभी वर्ष 1952 में गीता प्रेस ने रिंग बंधा बनवाया था. इस बंधे पर 1982 2003 व 2013 में गंगा की लहरों ने जबरदस्त प्रहार किया. तो बंधा डैमेज होने लगा. तब तक बंधे के रखरखाव का जिम्मा ग्राम पंचायतों का रहा. अपने छोटे निधि से पंचायत काम करती रही.
लेकिन वर्ष 2015 में इस रिंग बंधा को बाढ़ खंड ने अपने जिम्मे ले लिया. 2016 की बाढ़ में बंधा और कमजोर हुआ. गंगा का पानी बंधे को ओवरफ्लो करके दुबेछपरा, गोपालपुर, उदईछपरा में गिरा तो प्रदेश सरकार ने इस पर 2017 में 29 करोड़ खर्च करके बंधा का चौड़ीकरण, पिचिंग जीओ बैग प्लेटफॉर्म, पत्थर से ढ़काई आदि कराया.
कुल मिलाकर लगभग 40 करोड़ खर्च के बाद भी दूबेछपरा के सामने रिंग बंधा पिछले 16 सितंबर को लगभग 1200 मीटर लंबाई में पूरी तरह नेस्तनाबूद हो गया. बाढ़ का पानी दुबेछपरा, गोपालपुर और उदईछपरा के दो दर्जन दो दर्जन लोगों के कच्चे पक्के मकान तथा झोपड़ी व मकान को नेस्तनाबूद कर दिया.
लगभग डेढ़ दर्जन गांव पानी से पूरी तरह से घिर गये. बाहर निकलना मुश्किल हो गया. बस नाव ही सहारा रहा. 17 सितंबर को दयाछपरा में निरीक्षण में आये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 24 घंटे के अंदर आपदा राहत कोष से जिन लोगों का घर गिरा है मुआवजा देने तथा सारी सुविधाएं की व्यवस्था करने का घोषणा की. अधिकारियों को निर्देश दिये.
एक पखवारा से अधिक दिनों तक डेढ़ दर्जन गांवों में पानी भरा रहा. ग्रामीण एनएच 31 पर लगभग 8 किलोमीटर की लंबाई में सड़क के दोनों किनारों पर शरण लिए रहे.
गांव के पंकज तिवारी का कहना है कि बाढ़ का पानी हटने के बाद बंधे का पुनर्निर्माण तथा जिन लोगों के घर गिरे हैं उनको राहत तुरंत पहुंचाना चाहिए. लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी आज तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं है. इसी गांव के मुन्ना पांडे का कहना है कि जिन लोगों के घर कटान की भेंट चढ़ गये अभी तक उन्हें कुछ नहीं मिला. दावा तो 24 घंटे के अंदर सहायता राशि उपलब्ध कराने का था.
युवा समाजसेवी अतुल मिश्र का कहना है कि अगर समय रहते दुबेछपरा में बंधा ठीक नहीं किया गया तो आगे पचास हजार की आबादी खतरे की जद में रहेगी. गोपालपुर के वासुदेव उपाध्याय जिनका दो मंजिला मकान कटान के भेंट चढ़ गया उनका कहना है कि बार-बार सूची ही बनायी जा रही है. जांच ही हो रहा है. उन्हें अभी तक गृह अनुदान की कोई सहायता नहीं दी गयी.
कुल मिलाकर दूबेछपरा में बंधे पर अभी भी दो दर्जन परिवार शरण लिए हुए हैं. क्योंकि गंगा के कटान से दूबेछपरा, उदई छपरा और गोपालपुर गांव के सामने जिन जगहों पर इन लोगों का घर था, वहां कुंड बन गया है. वहां उनके घरों का कोई नामोनिशान नहीं है. वह जाएं तो जाएं कहां.

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