बलिया : सुनहरे भविष्य का लालच देकर छात्रों और अभिभावकों को लुभाने के लिए शहर से गांव तक कोचिंग सेंटरों के बड़े-बड़े होर्डिंग और बैनर दिख जायेंगे. अक्सर उनके झांसे में बच्चों के साथ अभिभावक भी आ जाते हैं.
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मानकों की अनदेखी कर चल रहीं कोचिंग
बलिया : सुनहरे भविष्य का लालच देकर छात्रों और अभिभावकों को लुभाने के लिए शहर से गांव तक कोचिंग सेंटरों के बड़े-बड़े होर्डिंग और बैनर दिख जायेंगे. अक्सर उनके झांसे में बच्चों के साथ अभिभावक भी आ जाते हैं. उनकी पढ़ाई से भविष्य की राह कितनी आसान होगी, यह तो कहना मुश्किल है, लेकिन अधिकतर […]
उनकी पढ़ाई से भविष्य की राह कितनी आसान होगी, यह तो कहना मुश्किल है, लेकिन अधिकतर कोचिंग में पढ़ने वाले बच्चों की जिंदगी दांव पर ही रहती है. शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोचिंग सरकार के मानकों की अनदेखी कर बेधड़क चल रहे हैं.
बच्चों की सुरक्षा को लेकर शासन से दिशा निर्देश जारी है, लेकिन उनका पालन नहीं होता. जिला प्रशासन या शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से कोचिंग संचालकों की मनमानी चल रही है. प्रशासन या विभाग के पास यह भी डाटा नहीं है कि जिले में कितने कोचिंग सेंटर चल रहे हैं.
सीसीटीवी कैमरा व फायर सेफ्टी का इंतजाम नहीं : शासन की ओर से कोचिंग सेंटर के लिए सुरक्षा के मानक तय किये गये हैं. इसमें सीसीटीवी कैमरा और फायर टेंडर लगाना जरूरी है. इसके अलावा जिस भवन में कोचिंग संचालित है, उसके लिए भी मानक तय है.
भवन में मैनुअली ऑपरेटेड इलेक्ट्रॉनिक फायर अलार्म लगाना है. साथ ही भवन के चारों तरफ छह मीटर का गलियारा होना चाहिये. कोचिंग के लिए संचालक को पहले लाइसेंस लेना होता है. लेकिन कई संचालकों ने कम छात्रों के लिए लाइसेंस लिया है और अधिक नामांकन ले रखे हैं.
जांच के लिए जून में बनी थी टीम, नहीं हुई कार्रवाई
कोचिंग संचालकों की मनमानी की शिकायत पर इसी साल 20 जून को तत्कालीन डीएम भवानी सिंह खंगारौत ने कोचिंग की जांच के लिए टीम गठित की थी. नगर मजिस्ट्रेट, सीओ सदर, डीआइओएस व जिला अग्निशमन अधिकारी को रखा गया था. सघन जांच और छापेमारी कर मानक पूरा नहीं करने वाले कोचिंग के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करें. छह महीने बाद भी टीम की कोई उपलब्धि सामने नहीं आ सकती है.
गली या गोदाम जैसी जगहों पर भी चलती हैं कोचिंग
शहर में कोचिंग की भरमार है. हाइस्कूल से लेकर स्नातक की तैयारी कराने के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए शत-प्रतिशत सफलता की गारंटी देते हुए कोचिंग खुले हैं. हालांकि कई कोचिंग संकरी गली या गोदाम जैसे भवनों में संचालित हो रहे हैं, जहां किसी तरह का हादसा होने पर बचाव कार्य करना भी मुश्किल हो जायेगा.
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