मौसम ने फिर लिया यू-टर्न, बढ़ी ठंड

बलिया : मौसम ने फिर यू-टर्न ले लिया है. शनिवार को आसमान में दिनभर बादलों ने डेरा जमाये रखा, जिससे लोगों की धड़कन भी बढ़ गयी थी. बारिश की आशंका से लोग सहमे रहे. दिन में खुलकर धूप भी नहीं निकली, जिसके कारण ठंड भी बढ़ गयी. कुछ देर के लिए धूप निकलती, लेकिन अगले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 5, 2020 3:05 AM

बलिया : मौसम ने फिर यू-टर्न ले लिया है. शनिवार को आसमान में दिनभर बादलों ने डेरा जमाये रखा, जिससे लोगों की धड़कन भी बढ़ गयी थी. बारिश की आशंका से लोग सहमे रहे. दिन में खुलकर धूप भी नहीं निकली, जिसके कारण ठंड भी बढ़ गयी. कुछ देर के लिए धूप निकलती, लेकिन अगले ही पल सूरज को बादल ढंक लेते. 24 घंटे में एक डिग्री तापमान गिरा है.

शुक्रवार को जहां न्यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस रहा, वहीं शनिवार को घटकर 11 डिग्री सेल्सियस हो गया. वहीं, अधिकतम तापमान लगातार तीसरे दिन भी 18 डिग्री सेल्सियस ही था. मौसम विभाग ने पहले से ही तीन और चार जनवरी को बरसात की चेतावनी दी थी.
तीन जनवरी को सुबह हल्की बारिश हुई, लेकिन दिन में धूप निकल गयी. इससे ठंड से भी लोगों को राहत मिली. हालांकि शनिवार को मौसम का मिजाज बदल गया. सुबह से ही धुंध और कोहरा छाया था. उम्मीद थी कि दोपहर तक धूप निकल जायेगी, लेकिन पूरा दिन इंतजार में ही गुजर गया. शाम को ठंड भी बढ़ गयी. पछुआ हवा के कारण गलन महसूस हो रही थी.
ठंड को देखते हुए आज तक स्कूलों में है छुट्टी
ठंड को देखते हुए डीएम के आदेश पर पांच जनवरी तक अवकाश घोषित किया गया है. यानि, मौसम ठीक-ठाक रहा तो छह जनवरी को स्कूल खुल जायेंगे. हालांकि प्रशासनिक व विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पांच जनवरी को मौसम का हाल देखने के बाद ही आगे कुछ तय हो सकेगा. अभी आठवीं तक स्कूलों की छुट्टी घोषित की गयी है. वैसे कई निजी स्कूलों ने पहले से ही पांच जनवरी तक अवकाश घोषित कर दिया है.
मौसम ने बढ़ायी किसानों की चिंता
मौसम के उतार-चढ़ाव ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. कई दिनों से पड़ रही धुंध से गेहूं की फसल को नुकसान होने की बात कही जा रही है. वहीं शीतलहर से दलहनी व तिलहनी फसलों को नुकसान होगा. साथ ही आलू के लिए भी यह मौसम सही नहीं माना जाता है. किसानों को इस बात की भी चिंता है कि बारिश होने पर ज्यादा नुकसान हो जायेगा.
हालांकि इस बार जिले के अधिकतर हिस्सों में खेती पिछड़ी हुई हैं. अतिवृष्टि के कारण खेतों में महीनों तक पानी लगा था. पानी निकलने के बाद ही किसानों ने गेहूं-चना सहित अन्य फसलों की बुआई की है.

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