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घाट पर एक साथ जली पिता-पुत्र की चिताएं

लालगंज : स्तब्ध था शमशान और खामोश थी नदियों की धाराएं. यह आलम था गुरुवार की शाम सती घाट भूसौला का जहां एक साथ पिता-पुत्र की चिताएं एक साथ जलीं. वहां मौजूद प्रत्येक व्यक्ति को प्रकृति के इस निर्णय पर नाराजगी थी पर विवशता यह थी को कोई कुछ कर नहीं सकता था. मकर संक्रांति […]

लालगंज : स्तब्ध था शमशान और खामोश थी नदियों की धाराएं. यह आलम था गुरुवार की शाम सती घाट भूसौला का जहां एक साथ पिता-पुत्र की चिताएं एक साथ जलीं. वहां मौजूद प्रत्येक व्यक्ति को प्रकृति के इस निर्णय पर नाराजगी थी पर विवशता यह थी को कोई कुछ कर नहीं सकता था.

मकर संक्रांति में घर में बनी खिचड़ी खाने से मौत के गाल में समा चुके केदार पांडेय ओर उनके पुत्र सुनील पांडेय का की अंतिम यात्रा शाम को निकली.
एक ही ट्रैक्टर ट्रॉली पर पिता-पुत्र को चीर निद्रा में लेटे देख सभी का कलेजा मुंह का आ जा रहा था. सभी यह सोच कर स्तब्ध थे कि आखिर भगवान ने ऐसा क्यों किया. भूसौला सती घाट पर जब केदार पांडेय के पुत्र संतोष पांडेय ने अपने पिता और भाई की चिता को मुखाग्नि दी तो वहां उपस्थित हजारों लोग स्तब्ध रहे. इस मार्मिक दृष्य को देख किसी की आंख से आंसू थमने का नाम नहीं दे रहा था.
अंतिम संस्कार में पूर्व सांसद भरत सिंह, लोकसभा प्रत्याशी रहे सनातन पांडेय, पूर्व विधायक जयप्रकाश अंचल, पूर्व राज्य मंत्री तारकेश्वर मिश्रा, विधायक सुरेंद्र सिंह के पुत्र हजारी सिंह के अलावा सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे.

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