वानप्रस्थ की अपेक्षा गृहस्थ आश्रम श्रेष्ठ

आरा : सदर प्रखंड अंतर्गत रामपुर सनदियां के पंचायत भवन पर विराट हरिनाम संकीर्तन का आयोजन त्रिकालदर्शी,विदेह संत श्री देवराहाशिवनाथ दास जी महाराज के भक्तों ने किया. हरिनाम संकीर्तन के प्रारंभ में विदेह संतश्री का भव्य स्वागत और पूजा-अर्चना श्रद्धालुओं ने की. इस अवसर पर भक्तों पर आशीषवर्षण करते हुए विदेह संत योगी श्री देवरहाशिवनाथ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 17, 2020 3:13 AM

आरा : सदर प्रखंड अंतर्गत रामपुर सनदियां के पंचायत भवन पर विराट हरिनाम संकीर्तन का आयोजन त्रिकालदर्शी,विदेह संत श्री देवराहाशिवनाथ दास जी महाराज के भक्तों ने किया. हरिनाम संकीर्तन के प्रारंभ में विदेह संतश्री का भव्य स्वागत और पूजा-अर्चना श्रद्धालुओं ने की.

इस अवसर पर भक्तों पर आशीषवर्षण करते हुए विदेह संत योगी श्री देवरहाशिवनाथ दास जी ने कहा कि वर्तमान युग में परिधान और आडंबर से ही साधु कहलानेवाले तथाकथित साधुओं की अपेक्षा गृहस्थ आश्रम में रहकर सुकर्म के द्वारा अपने कुटुंबों का पालन करनेवाले गृहस्थ भक्त श्रेष्ठ हैं.
एक गृहस्थ व्यक्ति अपने गृहस्थ जीवन के कर्तव्यों को करने के साथ-साथ यदि पांच मिनट भी हरि को किसी भी नाम से पुकार लेता है, तो वह तीर्थों में भटकनेवाले, आडंबर को ही सबकुछ माननेवाले तथाकथित बाबाओं से हजार नहीं करोड़ गुणा श्रेष्ठ है. आज गली-गली भटकनेवाले बाबाओं में एक गृहस्थ की अपेक्षा अधिक काम, क्रोध, लोभ और अहंकार का भाव है.
हरि का नाम लेने से काम, क्रोध, मद, अहंकार, लोभ का नाश होता है. जबकि आडंबर को ही अपना सबकुछ मान लेनेवाले तथाकथित साधु यदि राम का भजन करता है, तो उसका आडंबर छूट जाता. एक गृहस्थ जीवन बितानेवाले व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए भगवान का भजन करे वह श्रेष्ठ है.

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