चंद्रशेखर की प्रतिमा भी नहीं दे सकी जीवनदान
बलिया : शहर के मुख्य आवासीय इलाके में स्थित नया चौक को चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा लगने के बाद भी जीवनदान नहीं मिला. चौराहे पर बने चंद्रशेखर आजाद पार्क भी बदहाली का शिकार है. कभी-कभार खास मौकों पर ही इनकी याद भी जिम्मेदारों को आती है. जापलिनगंज नया चौक से गुजरने वाली चारों तरफ की […]
बलिया : शहर के मुख्य आवासीय इलाके में स्थित नया चौक को चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा लगने के बाद भी जीवनदान नहीं मिला.
चौराहे पर बने चंद्रशेखर आजाद पार्क भी बदहाली का शिकार है. कभी-कभार खास मौकों पर ही इनकी याद भी जिम्मेदारों को आती है. जापलिनगंज नया चौक से गुजरने वाली चारों तरफ की सड़कें चमक रही है, लेकिन चौराहे पर दिनभर छुट्टा पशुओं का चारागाह बना रहता है. शाम होते ही हर तरफ पशुओं का शौच पड़ा रहता है, जिससे राहगीरों को भी दिक्कत होती है.
स्थानीय लोगों के आंदोलन के बाद सड़क का निर्माण तो हो गया, लेकिन चौराहे के सुंदरीकरण को लेकर कोई प्रयास नहीं किया गया. पटरी भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है. चंद्रशेखर पार्क भी केवल नाम का ही है. हां, नगर पालिका की ओर से सड़क पर लगे वेपर लाइट से रात में पार्क जगमगाता रहता है.
कभी था यह शहर का वीआइपी इलाका
नया चौक कभी शहर का सबसे वीआइपी इलाका माना जाता है. जापलिनगंज क्षेत्र में ही वरिष्ठ समाजवादी नेता यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्व विक्रमादित्य पांडेय और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व कैबिनेट मंत्री रहे स्व बच्चा पाठक का आवास है. दोनों नेताओं के जीवित रहते यह क्षेत्र जिला ही नहीं, सूबे की सियासत का अड्डा हुआ करता था. हालांकि, तब मोहल्ले की सड़कें न तो इतनी चौड़ी थीं, न ही इतनी दुरुस्त.
आजाद को मानने वाले भी नहीं लेते सुधि
आजाद को मानने वाले ही उन्हें भूलने लगे हैं. चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा स्थापित होने के बाद भी चौराहे की किस्मत नहीं बदल सकी. हर साल 27 फरवरी को उनके बलिदान दिवस पर सेनानी संगठन की ओर से यहां कार्यक्रम आयोजित होता है. उसी दिन फूल-माला चढ़ाकर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा होती है. अगले दिन से ही इधर किसी को झांकने की भी फुर्सत नहीं होती. अब तक प्रतिमा के ऊपर छतरी का निर्माण भी नहीं हो सका.