गंगा तटवासियों को पानी के हर घूंट के साथ मिल रही बीमारी
रामगढ़ : क्षेत्र के लोगों को आज कॉल पेयजल के रूप में मुफ्त बीमारियां मिल रही है. पानी के हर घूंट के साथ वे बीमार हो रहे हैं. पीड़ितों के शरीर पर तरह-तरह के निशान पड़ गये हैं, जिसके कारण लोग किसी से हाथ मिलाने से भी कतराने लगे हैं. संक्रामक रोगों से पीड़ित होना […]
रामगढ़ : क्षेत्र के लोगों को आज कॉल पेयजल के रूप में मुफ्त बीमारियां मिल रही है. पानी के हर घूंट के साथ वे बीमार हो रहे हैं. पीड़ितों के शरीर पर तरह-तरह के निशान पड़ गये हैं, जिसके कारण लोग किसी से हाथ मिलाने से भी कतराने लगे हैं. संक्रामक रोगों से पीड़ित होना आम बात हो गयी है. लोगों की समझ में ही नहीं आ रहा है कि इस आर्सेनिक से मुक्ति कैसे पाएं?
स्थिति यह है कि हैंडपंप के पानी को कुछ देर के लिए खुले में रख दिया जाये, तो कुछ ही देर में इसका रंग बदल जाता है. इसके साथ ही उससे किसी वस्तु के सड़ जाने पर उठने वाली दुर्गंध की तरह बदबू भी आने लगती है.
विकल्प के अभाव में इसी पानी का सेवन करना लोगों की नीयति बन गयी है. आर्सेनिक प्रभावित इलाके में लगे हैंडपंप का फाउंडेशन भी लाल हो जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि अार्सेनिक का असर पत्थर पर इतना हो रहा है, तो शरीर को कितना नुकसान पहुंचाता होगा. हालांकि तमाम घरों में लोग पीने के लिए आरओ का पानी तो मंगवा ले रहे हैं, लेकिन हैंडपंप के पानी का उपयोग अभी भी खाना बनाने में होता है.
हैंडपंप से निकलने के बाद ही बदलने लगता है पानी का रंग
हम लोग लाखों रुपये अपने इलाज में खर्च किये है. जो भी जनप्रतिनिधि हम लोगों के बीच आया उनसे अपना दुख दर्द सुनाया और दिखाया. लेकिन नतीजा आज तक सिफर रहा. अब कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कि हम लोग क्या करें. कोई सुनने वाला नहीं है.
-अक्षयवर पांडेय
आर्सेनिक प्रभावित इलाके में लगे हैंडपंप का फाउंडेशन भी लाल हो जाता है
दूषित पानी के सेवन से हमारी पूरी बस्ती तबाह है. जिला प्रशासन और जल निगम द्वारा केवल एक पानी टंकी का निर्माण कराया गया है, जिससे मिलने वाला पानी भी मानक के अनुरूप पाइपलाइन नहीं बिछाये जाने के कारण बेकार है. दूषित पानी ही मिल रहा है.
-विनोद पांडेय
जल निगम के द्वारा अब तक जितने भी आर्सेनिकमुक्त जल उपलब्ध कराने का फिल्टर लगाया गया, वह रखरखाव के अभाव में दम तोड़ चुका है. शासन प्रशासन को चाहिये कि समय रहते शुद्ध जल उपलब्ध कराने की व्यवस्था करें, ताकि लोगों में बीमारी न फैले.
-शिवजी मिश्र
करीब दो दशकों से हम लोग आर्सेनिकयुक्त पानी पी रहे हैं, जिसके चलते सांस, दमा व शरीर पर काले- काले धब्बे उग आये हैं. आज हमारी स्थिति आर्सेनिक की जद में आने से अंतिम स्टेज में पहुंच गयी है. शासन प्रशासन की तरफ से अब तक जो भी प्रयास हुआ, वह विफल रहा.
-सुदामा पांडेय