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बाढ़ और कटान से जूझते जनपदवासियों को मिला ‘झुनझुना’

शशिकांत ओझा, बलिया : बाढ़ और कटान से जूझ रहे जनपदवासियों को यूपी सरकार के बजट में ‘झुनझुना’ मिला है. राजनीतिक रूप से उर्वरा और देशभर में बागपन के लिए ख्यात बलिया हर साल प्राकृतिक आपदा झेलने को अभिशप्त है. 2014 की लहर में यूपी में सत्ता परिवर्तन हुआ, तो बलिया ने भी पूरा साथ […]

शशिकांत ओझा, बलिया : बाढ़ और कटान से जूझ रहे जनपदवासियों को यूपी सरकार के बजट में ‘झुनझुना’ मिला है. राजनीतिक रूप से उर्वरा और देशभर में बागपन के लिए ख्यात बलिया हर साल प्राकृतिक आपदा झेलने को अभिशप्त है. 2014 की लहर में यूपी में सत्ता परिवर्तन हुआ, तो बलिया ने भी पूरा साथ दिया. जिले के सात विधान सभा सीटों पर हुए चुनाव में पांच विधायक भाजपा के ही है, जिसमें दो सरकार में मंत्री भी है.

सरकार में दमदार भागीदारी दिलाने के बाद बलियावासियों को उम्मीद थी कि इस बार के बजट में बाढ़ और कटान के स्थायी समाधान की दिशा में कोई सौगात जरूर मिलेगी. इसके पीछे यह भी तर्क दिया जा रहा है कि पिछले साल बैरिया विधान सभा क्षेत्र के गोपालपुर में गंगा के दबाव से रिंगबांध टूटने के बाद हुई तबाही को देखते खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आये और लोगों को स्थायी समाधान के लिए आश्वस्त किया था.
वैसे द्वाबा में हर साल बाढ़ के समय में बड़ी तबाही होती है. गंगा के कटान से सैकड़ों परिवार बेघर होते हैं. नदी की धारा धीरे-धीरे राष्ट्रीय राजमार्ग की ओर बढ़ रही है, जिसे रोकने के लिए बड़े प्रोजेक्ट की बात कही जा रही थी.
लेकिन, न तो विभाग ने प्रोजेक्ट बनाकर भेजा, न ही शासन से कुछ मिला. लोगों का कहना है कि विभाग बाढ़ के सीजन में फ्लड फाइटिंग के नाम पर काम कराने में ही रुचि लेता है. बता दें कि करीब दो दशक से यही सिलसिला चलता आ रहा है. गंगा व घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद जब कटान तेज होता है, तो विभाग उसे रोकने की कवायद में जुट जाता है. इस दौरान करोड़ों खर्च होता है, लेकिन स्थायी समाधान आज तक नहीं हुआ.
सरकार के बजट में युवाओं के लिए विशेष ध्यान देने की बात कही गयी है. हालांकि जो योजनाएं बनी हैं, उससे रोजगार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही.
-सुनीता, सामाजिक कार्यकर्ता
बजट में किसानों के लिए इस बार कुछ भी खास नहीं मिला है, जबकि खेती में चुनौतियां बढ़ती जा रही है. प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों के सामने मुश्किल है. बेहतर कृषि को लेकर भी ठोस पहल किये जाने की उम्मीद थी.
-धनंजय यादव, शिक्षक
केंद्र सरकार के बाद राज्य सरकार के बजट ने भी निराश किया है. बलिया ने सरकार में अच्छी भागीदारी दी है, इसके बाद भी बलिया के विकास को लेकर कोई योजना अलग से नहीं मिली है. युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की पहल अच्छी है.
-अजय शंकर, अधिवक्ता
शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ ही अन्य बुनियादी जरूरतें भी बलिया में आसानी से उपलब्ध नहीं है. जिले में कोई उद्योग धंधा भी नहीं है, जहां युवाओं को रोजगार मिल सके. सरकार को इस पर भी ध्यान देना चाहिए था.
-राजकुमार सिंह, युवा

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