कोरोना से जंग: परदेसियों ने अपनी जांच करानी चाही तो हांफने लगा प्रशासन, बिना जांच किए दिखाया गया घर का रास्ता
रोडवेज पर पूरे दिन जमा रहता प्रशासनिक अमला, फिर असली विषय पर ध्यान नहीं-वहां आने वाले बाहरी लोगों को चेक करने की बजाय, दिखाया जा रहा घर का रास्ता
बलिया. उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में बाहर से आने वाले लोगों को बिना जांच किये घर का रास्ता दिखाया जा रहा है. सुबह साढ़े 11 बजे का समय. रोडवेज परिसर. डीएम और एसपी के वहां से हटते समय मातहतों को निर्देश दिया और अगले पड़ाव की ओर रवाना हो गये. फिर बाहर से आये लोगों की जांच शुरू हुई. एक व्यक्ति वहां आया और कहा कि वह हरियाणा से आया है और उसे अपनी शंका मिटाने के लिए जांच करानी है. आधा घंटा तक तापमान मापने वाली मशीन की तलाश होने लगी. इस काउंटर से उस काउंटर तक, इस व्यक्ति से उस व्यक्ति तक हरकत होने के बाद भी मशीन का पता नहीं चला. फिर उस व्यक्ति को रोडवेज पर स्थापित स्वास्थ्य विभाग के काउंटर पर भेज दिया गया.
स्वास्थ्य विभाग के लोगों ने उससे कुछ सवाल किए. पूछा कोई परेशानी है. बुखार, खांसी, गले में खिचखिच आदि की परेशानी तो नहीं. संदिग्ध व्यक्ति का जवाब था नहीं. उसके हाथ पर एक मुहर लगा दी गयी और उसे एक पंपलेट पकड़ा दिया गया. केस 2: बांसडीहरोड थाना क्षेत्र के टकरसन गांव का एक युवक दिल्ली में काम बंद होने के बाद किसी तरह सोमवार को बलिया आया. रोडवेज से उतरने के बाद बिना जांच कराये वह घर चला गया. रात में घर पहुंचने पर परिजनों ने उसे घर में घुसने से रोक दिया. रात भर वह किसी तरह गांव के बाहर ही रहा. सुबह पैदल ही वह रोडवेज पहुंच गया.
वहां मौजूद अधिकारियों से उसने अपनी बात बतायी और जांच कराने का अनुरोध किया. हालांकि अधिकारी उसकी जिद के बावजूद जांच कराने से बचते रहे. किसी तरह उसके हाथ पर मुहर लगाकर और क्वारेंटाइन का स्लिप पकड़ाकर 14 दिन घर में रहने की सलाह देते हुए भेज दिया. कोरोना महामारी को रोकने के लिए पूरा देश प्रयासरत है. जिला प्रशासन ने भी इसकी पूरी तैयारी की है. जगह-जगह संदिग्ध लोगों के ठहरने, खाने आदि का प्रबंध किया गया है. लॉकडाउन भी है. पर धरातल पर प्रतिदिन जो स्थितियां उभर कर आ रही है, उससे यही लगता है कि सभी इंतजाम के बाद भी प्रशासन कोरोना के लेकर सही में गंभीर नहीं है. सिर्फ औपचारिकता की जा रही है.
बाहर से आने वाले लोगों की जांच उनके अनुरोध पर भी नहीं हो रहा. केवल थर्मल जांच के बाद उन्हें छोड़ दिया जा रहा है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर उसकी जांच क्यों नहीं कर ली गयी. क्यों नहीं उसे जिला अस्पताल भेजा गया. क्या इसकी जांच के लिए नमूना लेने का प्रबंध नहीं है. जिले के सभी जनप्रतिनिधियों ने करोड़ों रूपये अपनी निधि से दिए हैं. ऐसे में क्या यह सही है. यह उदाहरण भर है. एक घंटे में रोडवेज पर ऐसे आधा दर्जन व्यक्ति जांच के नाम पर पहुंचे पर उसे उसी तरह का जवाब दिया गया. हालांकि रोडवेज पर एसडीएम सदर, डीआइओएस, बीएसए, प्रशिक्षु एसडीएम, नायब तहसीलदार की तैनाती प्रशासन ने की है.
सबकी जांच ना संभव है ना ही निर्देश
राज्यमंत्री जिले में चल रही इस व्यवस्था के बाबत प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल का कहना है कि जिले में जो लोग इन दो तीन दिनों में बाहर से आए हैं उनके लिए प्रशासन ने रहने खाने का इंतजाम किया है. सभी को 14 दिन आइसोलेशन में रखना है. इस बीच यदि कोई लक्षण दिखायी देते हैं तो उसकी जांच की जाएगी. इस तरह सभी की कोरोना जांच न संभव है ना ही इस तरह का निर्देश ही है.