धनंजय पांडेय, बलिया : शहर के एक मोहल्ले में रहने वाले संभ्रांत परिवार में बुजुर्ग मां के साथ दो भाई व उनकी पत्नियां और पांच बच्चे रहते हैं. पिता की मौत के बाद बड़े भाई ने छोटी सी दुकान खोल ली, जबकि छोटा भाई वकालत करके अभी चाय-नाश्ते का खर्च मुश्किल से निकाल पाता था. पुश्तैनी मकान में दो किरायेदार हैं, जो तीन-तीन हजार रुपये महीने का देते हैं. आमदनी का तीनों जरिया जोड़कर 10 लोगों वाले परिवार का गुजारा मुश्किल से हो रहा था. तभी 24 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन हो गया. दोनों भाइयों की आमदनी उसी दिन से ठप हो गयी. बची-खुची उम्मीद किराये पर थी, लेकिन उस पर भी सरकार के आदेश ने ग्रहण लगा दिया. दरअसल, दोनों किरायेदार रोज कमाने-खाने वाले ही हैं. ऐसे में न तो उन पर किराये के लिए दबाव बना सकते हैं, न ही इस मुसीबत की घड़ी में घर से निकाल सकते हैं.
अब हालात यह है कि किरायेदारों के किचेन को बचाने में मकान मालिक के चूल्हे की आग ठंडी पड़ने लगी हैं. दरअसल, यह महज बानगी भर है. शहर में ऐसे तमाम परिवार है, जिनका गुजारा मकान के किराये से ही होता है. राज्य सरकार ने दैनिक मजदूरों और अल्प आय वर्ग के लोगों को राहत देने के लिए अप्रैल महीने में किराया वसूली पर रोक लगा दी है. इसके चलते किरायेदारों को राहत मिल गयी है, लेकिन मकान मालिकों के लिए मुसीबत शुरू हो गयी है. मकान मालिक-किरायेदार दोनों होते हैं मिडिल क्लास के शहर में दो तरह के मकान किराये पर मिलते हैं. हाई क्लास के लोगों ने बड़ी बिल्डिंग बनवा रखी हैं, जहां अधिक आय वाले लोग ही किराये पर रहते हैं.
लॉकडाउन के दौरान भी दोनों का काम ठीक तरह से चल रहा है, लेकिन मिडिल क्लास फैमिली की मकानों में कम आय वर्ग वाले लोग ही रहते हैं. यहां आसानी से दो-तीन हजार रुपये में रहने लायक घर मिल जाता है, तो उनका काम हो जाता है. वहीं, किराये से मकान मालिक के परिवार भी बड़ा सहारा मिलता है. अधिकतर मकान पुराने पुश्तैनी है. परिवार की आमदनी इतनी भी नहीं है कि उसकी मरम्मत करा सकें. लॉकडाउन में ऐसे ही परिवार परेशानी झेल रहे हैं. किरायेदारों ने महीना पूरा होते ही हाथ जोड़ दिये. वे किसी के सामने मदद के लिए हाथ भी नहीं फैला सकते. बंद दुकानों का किराया देना भी हुआ मुश्किल लॉकडाउन के चलते शहर की तमाम दुकानें भी बंद है. अधिकतर लोग ऐसे हैं, जिनका घर सड़क के किनारे हैं. आमदनी का जरिया बढ़ाने के लिए मकान के अगले हिस्से में दुकान बनवाकर किराये पर दे रखा है. अब दुकान भी बंद है. एक मकान मालिक ने बताया कि जब दुकानदार को किराये के लिए फोन कर रहे हैं, तो वह सीधे इंकार कर दे रहा है.
दुकानदार का कहना है कि दुकान बंद है, तो ऐसे में उसके सामने खुद का खर्च निकालना मुश्किल है. जब स्थिति सामान्य होगी, तो दो-चार दिन दुकान खोलने के बाद किराया दे देगा. मकान मालिक ने कहा कि दो दुकानों से पांच हजार रुपये मिलते हैं. अब किसी तरह से परिवार का गुजारा हो रहा है. मुख्य सचिव ने दिया है निर्देशउत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने 30 मार्च को ही सभी मंडलायुक्त व जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर दिहाड़ी मजदूर, श्रमिक व अन्य अल्प आय वर्ग के लोगों को किराये से राहत दिलाने का निर्देश दिया है. कहा है कि लॉकडाउन के चलते इनका काम बंद है. ऐसे में अप्रैल महीने में मार्च महीने का किराया लेने के लिए मकान मालिक दबाव न बनायें. यह भी कहा है कि किराया के लिए किसी मजदूर परिवार को इस दौरान मकान से निकाला नहीं जा सकता. इसकी निगरानी के लिए प्रशासन को जिम्मेदारी दी गयी है.