रोजगार सेवकों का मानदेय मिलना शुरू, तीन साल से चल रहा था बकाया
जनपद : मनरेगा का लोगो कोरोना महामारी के बीच आर्थिक संकट से जूझ रहे रोजगार सेवकों के लिए राहत भरी बात यह है कि उनको जल्द ही मानदेय मिलने जा रहा है. प्रभात खबर में 13 अप्रैल के अंक में प्रकाशित 687 रोजगार सेवकों को नहीं मिला मानदेय प्रकाशित होने के बाद विभाग आखिरकार हरक्कत […]
जनपद : मनरेगा का लोगो कोरोना महामारी के बीच आर्थिक संकट से जूझ रहे रोजगार सेवकों के लिए राहत भरी बात यह है कि उनको जल्द ही मानदेय मिलने जा रहा है. प्रभात खबर में 13 अप्रैल के अंक में प्रकाशित 687 रोजगार सेवकों को नहीं मिला मानदेय प्रकाशित होने के बाद विभाग आखिरकार हरक्कत में आया और बकाया मानदेय का भुगतान शुरू कर दिया. हालांकि विभाग अभी पूरा मानदेय का भुगतान नहीं कर रहे हैं, लेकिन कोरोना से उपजे संकट को देखते हुए उन्हें बकाया मानदेय की ठीकठाक राशि भुगतान किया जा रहा है. इसी क्रम में मनियर ब्लाक के 31 रोजगार सेवकों के भुगतान के लिए कुल 10 लाख 74 हजार रुपए जारी किया.
गौरतलब हो कि विगत तीन वर्षों से जनपद के 687 रोजगार सेवकों का मानदेय बकाया चल रहा था. रोजगार सेवक इन तीन वर्षों में अनेकों बार धरना-प्रदर्शन आदि किए, लेकिन किसी के कानों में जूं नहीं रेंगा. इसबीच रोजगार सेवक जब व्यापक पैमाने में आंदोलन करते हैं तो एक-दो महीना का देकर शांत कर देते थे. इधर कोरोना के बाद से रोजगार सेवकों को भी गांव-गांव में ड्यूटी लगाई गयी और रोजगार सेवक भी अपना कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हुए जॉब कार्ड धारकों व गांव के गरीबों तक राशन मुहैया कराने में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं.
लेकिन तीन वर्षों से मानदेय न मिलने के कारण उनकी माली हालत भी खराब होने लगी थी, ऐसे में कोरोना संकट के बाद जब देश के पीएम गरीब, मजदूरों को मदद के मामले पहली पंक्ति में जगह दिए तो भला वे रोजगार सेवक भी कैसे घर चलाते जिनको तीन-तीन साल से मानदेय की एक फूटी-कौड़ी नसीब नहीं हुई. ऐसे में प्रभात खबर में जनपद में इतनी बड़ी संख्या में रोजगार सेवकों के दर्द को उजागार किया और अधिकारियों तक उनकी पीड़ा को पहुंचाई. विभाग भी तुरंत हरक्कत में आया और अब एक-एक कर हर ब्लाकों में रोजगार सेवकों को उनके उनका बकाया भुगतान से कुछ-कुछ धनराशि भुगतान करना शुरू कर दिया है.
शेष बकाया धनराशि का भुगतान भी जल्द करें विभाग: बब्बनग्रामीण रोजगार सेवक संघ के जिलाध्यक्ष बब्बन चौधरी ने कहा है कि मानदेय की राशि से इस संकट में कुछ हद तक राहत मिल सकती है.लेकिन सरकार को बाकी मानदेय का भुगतान भी जल्द करना होगा, तीन साल से बकाया मानदेय का मतलब किसी रोजगार सेवक का दो लाख बकाया चल रहा है तो किसी का डेढ़ लाख, ऐसे में 20 हजार और 30 हजार से कैसे काम चलेगा. शासन इस पर भी पहल करें और जल्द से जल्द समस्त बकाया मानदेय का भुगतान करवाएए