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होम क्वारंटाइन में वृद्ध की मौत, शव में पड़े कीड़े

बाराबंकी : उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में प्रशासन की घोर लापरवाही सामने आयी है. यहां बढ़नापुर गांव में होम क्वारंटाइन 82 साल के बुजुर्ग की मौत हो गयी. मौत के बाद जब दुर्गंध उठी तो पड़ोसियों को अनहोनी की आशंका हुई. पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो शव की दुर्दशा […]

By Pritish Sahay | April 13, 2020 6:44 AM
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बाराबंकी : उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में प्रशासन की घोर लापरवाही सामने आयी है. यहां बढ़नापुर गांव में होम क्वारंटाइन 82 साल के बुजुर्ग की मौत हो गयी. मौत के बाद जब दुर्गंध उठी तो पड़ोसियों को अनहोनी की आशंका हुई. पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो शव की दुर्दशा देख सभी की रूह कांप उठी. बुजुर्ग के शव में कीड़े पड़ गये थे. फर्श, घर की दीवारों पर कीड़े रेंग रहे थे. कोरोना जांच के लिए सैंपल लेकर शव को दफन कराया गया है. गांव को सील कर दिया गया है.22 मार्च को क्वारैंटाइन किया गया था बुजुर्गथाना मोहम्मदपुर खाला इलाके के गांव बढ़नापुर निवासी एक 82 वर्षीय बुजुर्ग गुजरात से अपने गांव आया था. प्रशासन ने 22 मार्च को उसे होम क्वारैंटाइन किया. उसके घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गयी. 4 अप्रैल को घर के बाहर आशा कार्यकत्री ने नोटिस चिपका दिया कि, कोई भी इस घर के भीतर प्रवेश न करे. यह कोरोना के संदिग्ध का घर है. बुजुर्ग का परिवार गुजरात में था. अकेले होने के कारण खुद ही खाना बनाते थे.

शनिवार को उसके घर से लोगों को दुर्गंध महसूस हुई. इसकी सूचना प्रशासन को दी गयी. ग्रामीणों ने कहा- दुर्गंध इतनी तेज थी, घर के बाहर भी लोगों का खड़ा होना मुश्किल हो रहा था. पुलिस व स्वास्थ्य विभाग के लोग पहुंचे तो देखा गया कि, बुजुर्ग का अकड़ा मृत शरीर पड़ा था. शव पर कीड़े रेंगते दिखायी दिये. इसके चलते अंदेशा है कि, बुजुर्ग की मौत कई दिनों पहले हो चुकी थी. प्रशासन ने बिना पोस्टमार्टम कराये शव को दफन करा दिया है.प्रधान को अफसोस, बोले- काम में उलझा था, नहीं दे पाया ध्यानगांव की आशा बहू ने कहा- 22 मार्च को क्वारंटाइन किये जाने के वक्त वह बुजुर्ग के घर आयी थी. उसके बाद 4 अप्रैल को नोटिस चिपकाने आयी थी. इस दौरान उन्हें किसी अनहोनी की भनक भी नहीं लगी. महिला ग्राम प्रधान के पति महेन्द्र वर्मा ने कहा- मृतक अपने पौत्र के साथ गुजरात से गांव आया था, क्योंकि इसके प्रपौत्र का मुंडन था.

पौत्र बाराबंकी शहर में रहता है. एक अप्रैल को बुजुर्ग राशन भी लेकर गये थे. 4 अप्रैल को बेलहरा के डॉक्टर बृजेश के यहां से अपनी दवा भी लेकर आये थे, क्योंकि वह अस्थमा का मरीज था. अब इनकी मृत्यु कब हुई? यह बता पाना संभव नहीं है. अपनी लापरवाही मानते हुए महेन्द्र वर्मा कहते है कि वह पिछले कई दिनों से दूसरे कामों में उलझे हुए थे इसी कारण मृतक की ओर ध्यान नहीं दे पाये.सीएमओ ने दिया गैर जिम्मेदाराना जवाबमुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रमेश चन्द्रा ने कहा- आशा बहू जाती रही होगी और बाहर से हालचाल जानकर वापस हो जाती होगी. कीड़े पड़ने के लक्षणों के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. उसको कोरोना के कहीं लक्षण नहीं थे, फिर भी हमने उसका सैंपल लेकर भेज दिया है. जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कह पाना संभव होगा.

जब सीएमओ से यह पूछा गया कि अगर उसे इस दौरान मेडिकल टीम देखती तो उसकी ऐसी भयावह मृत्यु न होती तो इस पर उन्होंने बात काटते हुए कहा कि होम क्वारैंटाइन का अर्थ यह नहीं होता कि हम उसे रोज देखें. बल्कि संस्थागत क्वारंटाइन में मरीज हर समय डॉक्टरों की देखरेख में रहता है. होम क्वारंटाइन में हमें सिर्फ इतना देखना होता है कि वह 14 दिनों तक किसी से मिले न और वह घर बाहर निकले न बस.

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