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चैती-कजरी की चाशनी में लपेट कोरोना से बचने का संदेश दे रहे गायक-रंगकर्मी

धनंजय पांडेय, बलिया : चैत का महीना कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लागू लॉकडाउन में ही निकल गया. इस महीने खासकर ग्रामीण इलाकों में तमाम बड़े आयोजन होते रहे हैं, जो संगीत प्रेमियों को पारंपरिक गीतों से जोड़कर परंपराओं को जीवंत करते हैं. लेकिन, लॉकडाउन ने उम्मीदों पर पानी फेरा, तो गायक-कलाकारों ने संगीत प्रेमियों […]

By Prabhat Khabar News Desk | April 8, 2020 3:11 AM
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धनंजय पांडेय, बलिया : चैत का महीना कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लागू लॉकडाउन में ही निकल गया. इस महीने खासकर ग्रामीण इलाकों में तमाम बड़े आयोजन होते रहे हैं, जो संगीत प्रेमियों को पारंपरिक गीतों से जोड़कर परंपराओं को जीवंत करते हैं. लेकिन, लॉकडाउन ने उम्मीदों पर पानी फेरा, तो गायक-कलाकारों ने संगीत प्रेमियों से जुड़ने का नया तरकीब निकाल लिया. लोकगायक गोपाल राय, शैलेंद्र मिश्र, अरविंद उपाध्याय, प्रियंका पायल, सुनीता पाठक के साथ ही रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने अलग-अलग विषय के साथ फेसबुक लाइव के माध्यम से संगीत और साहित्य प्रेमियों को भरपूर मनोरंजन उपलब्ध कराया है. इस दौरान चैता-कजरी की चाशनी में लपेटकर कोरोना से बचाव के लिए संदेश भी देते रहे. इसके अलावा तमाम लोगों ने इस दौरान फेसबुक और ह्वाट्सअप के जरिये संक्रमण रोकने और घरों में रहने के लिए भावनात्मक संदेश भी अपलोड किये हैं.

लोक गायक व अभिनेता गोपाल राय ने फेसबुक पर लाइव चैती का प्रसारण किया. आनंद गहमरी के गीत ‘कइले बिया कइसन जादू-टोनवा, हो रामा बुजरी कोरोनवा…’ को गोपाल ने आवाज दिया, तो संगीतप्रेमियों ने लॉकडाउन के दौरान घर में रहकर भी चैत का मजा लिया. साथ ही इस गीत को यू-ट्यूब पर भी अपलोड किया है. गोपाल ने इसके अलावा भी कई दिनों तक फेसबुक लाइव के माध्यम से संगीतप्रेमियों को घर बैठे शानदार मनोरंजन उपलब्ध करा रहे हैं. कहा कि परंपरागत गीतों के श्रोता अभी भी है. चैत महीना में जगह-जगह आयोजन होते रहते हैं, लेकिन इस बार महामारी के चलते सभी लोग घरों में ही है. आयोजनों पर भी रोक है. ऐसे में उन्हें मनोरंजन उपलब्ध कराना भी हमारी जिम्मेदारी है.फोटो: 11- शैलेंद्र मिश्र होने हट सट जनि कर चोन्हा पिया…लोक कलाकर शैलेंद्र मिश्र ने भी लॉकडाउन में अपने चहेतों को फेसबुक लाइव से दर्शन दिया है.

वैसे तो चैता का सीजन चल रहा है, लेकिन शैलेंद्र ने कजरी के टोन में कोरोना के लिए जागरूकता गीत- ‘होने हट सट जनि कर चोन्हा पिया, आइल बा कोरोना पिया ना…’ गाया है. गीत लिखा है दिवाकर ने, जिसे शैलेंद्र ने आवाज दी है. कजरी के भाव के साथ ही यह गीत काफी पसंद किया जा रहा है. इसके अलावा पिछले दो हफ्ते में शैलेंद्र ने कई दिन फेसबुक लाइव के माध्यम से अपने चहेतों के साथ जुड़े और मनोरंजन किया. कहा कि यह हालात देश के सामने बड़ी चुनौती है. सभी घर में रहें, इसी में सबकी भलाई है. ऐसे में संगीतप्रेमियों के मनोरंजन के लिए लाइव रहकर जुड़े रहना काफी अच्छा लगता है. फोटो: 12- अरविंद उपाध्याय कहिया ले लिही अभी जानवा हो रामा… संगीत के शिक्षक और गायक अरविंद उपाध्याय चैती के रंग में कोरोना से जागरुकता के लिए गीत खुद तैयार किया और फेसबुक लाइव के जरिये लोगों के साथ साझा किया. ‘कहिया ले लिही अभी जानवा हो रामा, कोरोना दुसुमनवा… लइका बुढ़ कैद बा सेयनवा हो रामा…’ को काफी पसंद भी किया गया. लाइव देखने वालों की संख्या भी ठीक-ठाक रही. उपाध्याय का कहना है कि 21 दिन का लॉकडाउन है. इतने दिन घर में रहकर कोई भी मानसिक रूप से बीमार हो सकता है. ऐसे में स्वस्थ मनोरंजन की भी दरकार है. चैती गीत परंपरा के साथ ही कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक भी कर रहा है.

अभी फेसबुक लाइव के माध्यम से अन्य कार्यक्रम भी संगीतप्रेमियों के लिए तैयार किया है. उसके साथ जल्द लाइव रहूंगा. फोटो: 13- आशीष त्रिवेदी मुझमें रहते हैं करोड़ों लोग, चुप कैसे रहूं…वरिष्ठ रंगकर्मी और निर्देशक आशीष त्रिवेदी ने लॉकडाउन में साहित्यप्रेमियों के लिए अच्छी पहल की है. वे पिछले कई दिनों से खुद लाइव काव्यपाठ करने के साथ ही चर्चित कविताओं को यू-ट्यूब पर भी अपलोड कर रहे हैं. कहते हैं, मैं कलाकार हूं. कलाकार को सिर्फ मंच पर ही बोलना चाहिये, ऐसा अक्सर लोग मुझे सलाह देते हैं. लेकिन, क्या ये संभव है. एक कलाकार तभी कलाकार बनता है, जब अपने आस-पास की परिस्थितियों से प्रभावित होता है. उसकी संवेदना समाज की संवेदना होती है. आशीष ने गोरख पांडेय की कविता ‘समझदारों का गीत’, ‘मुझे मेरे प्यार ने सौंप दिया हत्यारों के हाथ’, पाब्लो नेरुदा की प्रेम कविता ‘सबसे उदास गीत’, नरेश सक्सेना की कविता ‘चीजों के गिरने के नियम होते हैं’ सहित कई रचनाएं प्रस्तुत की है.

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