बलियाः देश में कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में पुलिस, मेडिकल, सफाईकर्मी समेत जो भी लगे है, उन सबकी भूमिका अहम है. इसी में एक अहम रोल जिला महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ जियाउल हुदा का भी है, जो सबसे संवेदनशील काम को अंजाम दे रहे है. जी हां, ये वही डॉक्टर है जो कोरोना संदिग्ध का सैंपल लेने का काम कर रहे हैं. सैंपल लेने के कार्य की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सैंपल लेने के दौरान मुंह व नाक में स्टिक डालनी पड़ती है. वैसे तो इसके लिए तमाम सावधानियां बरती जाती है. इस दौरान अगर कोरोना संदिग्ध छींक दे या खांस दे तो थोड़ा डर तो बनता ही है. ऐसे में यह बहादुरी भरा काम जिले में तैनात डॉ जियाउल हुदा कर रहे हैं. इनकी पत्नी गर्भवती है, फिर भी कोरोना से जंग के बाद ही पत्नी का हाल जानने के लिए घर जा पाते हैं.
शायद ही कोई दिन रहा हो, जब कोरोना के संदिग्ध मरीज जिला अस्पाल में न आते हों. कोरोना संदिग्ध की जांच में थोड़ी भी चूक हुई तो परेशानी का बड़ा कारण बन सकता है. ऐसे में जिले में अपने पेशे के साथ बहादुरी के साथ डटे डा़ जिआउल हुदा की चर्चा हर कोई कर रहा है.बातचीत में डॉ हुदा बताते हैं कि यह कार्य थोड़ा क्रिटिकल जरूर है, पर यही हमारा फर्ज भी कहता है. डॉ हुदा की पत्नी गर्भवती हैं और शायद ऐसे ही मौके पर एक-दूसरे का ख्याल रखने की जरूरत भी पड़ती है. लेकिन, इन सबके बीच वह पूरे दिन ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. सैंपल लेने के साथ कोरोना से जुड़ी मॉनीटरिंग में भी इनका रोल है और शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब वे अपने घर रात 9 या 10 बजे के पहले पहुंचे.
डॉ हुदा ने बताया कि ड्यूटी के बाद घर-परिवार के बीच जाने के बाद भी सबसे अलग रहना पड़ता है, क्योंकि सावधानी ही बचाव है. सैंपल लेने के दौरान सुरक्षा किट पहनने के साथ इसका विशेष ध्यान रखा जाता है कि संदिग्ध को खांसी या छींक नहीं आए. रिस्क होने के बावजूद आज राष्ट्र के लिए सबसे जरूरी हम सबका फर्ज, दायित्व है और उसके निर्वहन के लिए पूरे तनमन से लगा रहूंगा.