Loading election data...

कोरोना से जंग में मेडिकल टीम का सराहनीय योगदान

बलिया: कोविड-19 के खिलाफ चल रही लड़ाई में मेडिकल टीम के कार्य की जितनी सराहना की जाए, शायद कम होगी. इस महामारी में हर कोई रिस्क के बीच काम कर रहा है. आम आदमी को घर में रहकर सुरक्षित रहना है, लेकिन चिकित्सा सुविधाएं कर्मचारी तो मैदान में डटकर अपना काम कर रहे हैं. ऐसे […]

By Prabhat Khabar News Desk | April 14, 2020 12:37 AM
an image

बलिया: कोविड-19 के खिलाफ चल रही लड़ाई में मेडिकल टीम के कार्य की जितनी सराहना की जाए, शायद कम होगी. इस महामारी में हर कोई रिस्क के बीच काम कर रहा है. आम आदमी को घर में रहकर सुरक्षित रहना है, लेकिन चिकित्सा सुविधाएं कर्मचारी तो मैदान में डटकर अपना काम कर रहे हैं. ऐसे में जरूरी है कि हम सब घर बैठे ही इन कर्मवीरों के लिए दुआएं मांगते रहें.

दोनों डॉक्टर भाई दे रहे हैं योगदान

डा़ रीतेश सोनी जिला अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड में भी जाकर मरीजों को देखने वाले डॉ रितेश सोनी ने अपना अनुभव साझा किया. वैसे तो डॉ रितेश की ड्यूटी इमरजेंसी में लगाई जाती है, लेकिन वहीं से बार-बार आइसोलेशन वार्ड में भी जाना पड़ता है. डॉ सोनी ने बताया कि प्रायः ड्यूटी तो 6 से 7 या 11 से 12 घंटे की होती है, पर वर्तमान में इस बात को लेकर खुद को मानसिक रूप से तैयार कर लिया हूँ कि ड्यूटी अगर 24 घंटे भी करनी पड़ी तो करूँगा. तभी तो, जब इस बीमारी का प्रसार होने लगा तभी पत्नी व बच्चे को गांव छोड़ आए. डॉ रितेश के भाई भी डॉक्टर हैं और गाजीपुर जनपद में इसी लड़ाई में अपना योगदान दे रहे हैं. इस तरह दोनों डॉक्टर भाई इस लड़ाई में पूरी तरह कमर कसकर डटे हुए हैं.

डर के आगे जीत है

लैब टेक्नीशियन अनुपम कुमार जिला अस्पताल में सैंपलिंग के कार्य में लगे लैब टेक्नीशियन अनुपम कुमार का कहना है कि फिलहाल यह बीमारी लाइलाज है. ऐसे में सैंपलिंग के काम में थोड़ा डर तो रहता ही है, लेकिन डर के आगे ही जीत है. हालांकि किसी प्रकार की जांच के दौरान मेडिकल टीम सुरक्षा प्रबंध से लैस रहती हैं. मूल रूप से जिले के मुरली छपरा (सेवक राय के टोला) निवासी अनुपम ने बताया कि जब से इस खतरनाक वायरस का प्रभाव बढ़ा तभी से घर जाना भी छोड़ दिया. हालांकि घर जाने का मौका भी नहीं मिलता और जाना एहतियातन ठीक भी नहीं. अब तो तय कर लिया है कि स्थिति सामान्य होने के बाद ही घर जाएंगे. पिछले वर्ष जब जिले में डेंगू के मरीज बढ़े थे, तब भी अनुपम ने एईएस/जेई वार्ड में काफी जिम्मेदारी से कार्य किया था.

Exit mobile version