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बरेली के चुनाव में न मुद्दे, न रोजगार की बात, हर दल की एक ही ख्वाहिश, सरकार बनवा दो साहेब…

बरेली की नौ विधानसभा में 14 फरवरी को होगा. जिसको लेकर सभी पार्टियां जोर-शोर से चुनाव प्रचार करने में लगी हुई है. उनके प्रचार में बरेली के कई मुद्दे गायब हैं. जिसमें नेकपुर शुगर मिल, आईटीआर समेत 100 से अधिक छोटे-बड़े उद्योग शामिल है.

बरेली : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 का मतदान बरेली की नौ विधानसभा में 14 फरवरी को होगा. जिसके चलते भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस के नेताओं ने बरेली में डेरा डाल लिया है. वह शनिवार शाम छह बजे तक प्रचार कर सकेंगे. लेकिन, उनके प्रचार में बरेली के कई मुद्दे गायब हैं. करीब 49 लाख की आबादी वाले जिले में कोई बड़ा उद्योग नहीं है. यहां का सबसे बड़ा उद्योग सिंथेटिक्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (रबड़ फैक्ट्री) 15 जुलाई 1999 को बंद हो गया. इसके साथ ही नेकपुर शुगर मिल, आईटीआर समेत 100 से अधिक छोटे-बड़े उद्योग बंद हो गए.

हालांकि, उस दौरान केंद्र-प्रदेश में भाजपा की हुकूमत थी. 22 वर्ष में एक भी बड़ा उद्योग नहीं लगा, जो बरेली के एक हजार युवाओं को रोजगार दे सकें. इसलिए बरेली के युवा बड़ी संख्या में बेरोजगार हैं. उन्हें उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा राज्यों में नौकरी की तलाश में चक्कर काटने पड़ते हैं. एक बार फिर चुनाव अंतिम दौर से गुजर रहा है. लेकिन, किसी भी दल के पास यहां के युवाओं को रोजगार देने और बंद उद्योगों को दोबारा चालू कराने के लिए कोई प्लान नहीं है.

कृषि विश्वविद्यालय की घोषणा कागज पर

2017 के विधानसभा चुनाव में बरेली के नैनीताल रोड स्थित बिलवा कृषि फार्म पर कृषि विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा हुई थी. पांच साल गुजर गए. मगर, यूनिवर्सिटी का काम शुरू नहीं हो सका. बीच-बीच में बात उठी, लेकिन अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है.

नहीं खुला मेडिकल कॉलेज

भाजपा सरकार में बरेली के मेंटल हॉस्पिटल के पास सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की गई थी, लेकिन यह भी नहीं खुल सका. हालांकि, बरेली में तीन मेडिकल कॉलेज हैं. मगर, यहां इलाज काफी महंगा है. जिसके चलते गरीब सरकारी अस्पतालों में ही इलाज को चक्कर काटते हैं.

जाम से नहीं मिली निजात

बरेली शहर लखनऊ-दिल्ली के बीच स्थित है. यहां मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग-24 पर हुलासनगला फाटक पर लंबे समय से जाम लगता है. दिल्ली-लखनऊ रोड पर ओवरब्रिज का निर्माण चल रहा है, लेकिन लंबा समय हो गया. लोगों को 10 से 15 घंटे तक जाम में रहना पड़ता है. यही स्थिति बदायूं रोड पर लाल फाटक पर है.

शहर की हर सड़क खोद

बरेली शहर स्मार्ट सिटी में चयनित हो चुका है. हालांकि सड़क टूटी हैं. जिनका निर्माण होना था. वह भी महीनों पहले ही खोद दी हैं. जिसके चलते इनके गद्दों में गिरकर कई मौत हो गई.

आधे शहर में सीवर और पेयजल सप्लाई नहीं

बरेली में 1974 में सीवर लाइन पड़ी है. इसके बाद शहर 70 फीसद बढ़ा है. इसके साथ ही पेयजल की सप्लाई भी आधे शहर में नहीं है.

रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

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