बरेली में शान से निकला जुलूस-ए-मुहम्मदी, जगह-जगह फूलों की बारिश, शहर की सड़कों पर दिखा सैलाब…
पैगम्बर-ए-इस्लाम की यौमे पैदाईश जश्न पूरी शान ओ शौकत के साथ मनाया गया.जुलूस में शामिल अंजुमन अपने परंपरागत रास्तों से निकलीं.उनका फूलों से स्वागत किया गया.अंजुमन खुद्दामें रसूल के तत्वाधान में दरगाह आला हजरत के सरपरस्त सुब्हानी मियां, अहसन मियां की क़यादत में जुलूस का आगाज हुआ.
बरेली : उत्तर प्रदेश के बरेली में पैगम्बर-ए-इस्लाम की यौमे पैदाईश (जन्म दिन) का जश्न पूरी शान ओ शौकत के साथ मनाया गया.जुलूस में शामिल अंजुमन अपने परंपरागत रास्तों से निकलीं.उनका जगह जगह फूलों से स्वागत किया गया.अंजुमन खुद्दामें रसूल के तत्वाधान में दरगाह आला हजरत के सरपरस्त हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां), सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की क़यादत में गुरुवार देर शाम जुलूस का आगाज हुआ.मगर, यह जुलूस इस बार कुतुबखाना पुल निर्माण के कारण कोहाडापीर की बजाय घंटाघर से शुरू हुआ.यहां से सिटी डाकखाना के रास्ते से कुतुबखाना सब्जी मंडी,जिला अस्पताल,कुमार सिनेमा,नावेल्टी चौराहा से राजकीय इंटर कॉलेज, करोलान, बिहारीपुर के रास्ते से देर रात दरगाह आला हज़रत पहुंचकर खत्म हुआ.
परचम-ए-रिसालत सौंपकर जुलूस रवाना किया
दरगाह के सरपरस्त सुब्हानी मियां ने सुबुर रज़ा को परचम-ए-रिसालत सौंपकर हरी झंडी दिखाकर जुलूस रवाना किया. जुलूस का रास्तो पर जगह जगह फूलों से इस्तकबाल (स्वागत) किया गया.रंग-बिरंगी पोशाक पगड़ी, जुब्बा पहने लोग अंजुमन की शक्ल में सरकार की आमद मरहबा-दिलदार की आमद मरहबा,खुशियां मनाओ सरकार आ गए आदि नारों के साथ चले. सबसे आगे पीर बहोड़ा की अंजुमन गुलशन ए नूरी चली.जुलूस शुरू होने से पहले स्टेज पर मौलाना अब्दुल हलीम ने तिलावत ए कुरान से आगाज़ किया.मुहम्मद शादाब ने नात ओ मनकबत का नज़राना पेश किया.
सरकार ने ऊंच नीच, गोरे काले का भेद किया खत्म
मुफ्ती सलीम नूरी ने अपनी तक़रीर में कहा कि हमारे नबी ने अगड़े-पिछड़ों, ऊंच-नीच,काले व गोरे का भेदभाव को खत्म कर सबको बराबरी का दर्जा दिया.जुल्म के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की. दुनियावालों को अमन शांति का पैगाम दिया.बोले, ये जुलूस नबीरे आला हज़रत हुज़ूर रेहान-ए-मिल्लत की देन है.हज़रत सुब्हानी मियां, और मुफ़्ती अहसन मियां, सय्यद आसिफ मियां ने सभी अंजुमनों के सदर का स्टेज पर पहुँचने के बाद अंजुमन खुद्दामें रसूल के सचिव शान अहमद रज़ा ने दस्तारबंदी कर फूलों से इस्तकबाल किया.
आईएमसी ने किया किया इस्तकबाल, सरकार ए दो आलम दुनियां के लिए रहमत
आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रज़ा खान, और उनकी कमेटी ने हज़रत वासिल शहीद की जानिब से मजार पहलवान साहब नावेल्टी चौराहा पर जुलूस ए मुहम्मदी का इस्तकबाल किया.मौलाना तौकीर रज़ा खां की पार्टी के लोगों ने सभी अंजुमनों की दस्तारबंदी की.आईएमसी प्रमुख ने अपने संदेश में कहा कि सरकार ए दो आलम आलमे दुनिया के लिए रहमत उल आलेमीन बन कर तशरीफ लाए. आप ने प्यार मुहब्बत भाई चारे का संदेश दिया. आज आप की यौमे पैदाइश पर हम सब मिल कर अहद करें कि आपसी भाई चारे के साथ मुल्क से नफरत का खात्मा करें.इस दौरान डॉक्टर नफीस खान, नदीम खान,मुनीर इदरीसी,अफजाल बैग, मुदस्सर मिर्जा,फरहान रज़ा,साजिद सकलेनी, रईस रज़ा,अतहर खान,रईस कुरेशी,शफी आदि मौजूद थे.
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रोशनी से जगमगाया शहर, सरकार की आमद मरहबा से गूंज उठा शहर
ईद मिलादुन्नबी के मुबारक मौके पर बरेली को रंग बिरंगी लाइट से सजाया गया है.शहर के प्रमुख रोड, जुलूस के रास्तों, और घरों को कई दिन पहले से सजाया गया था.इस दौरान पत्ती- पत्ती, फूल- फूल, या रसूल या रसूल, और सरकार की आमद मरहबा के नारों से शहर गूंज गया.जुलूस में शामिल बच्चों के हाथों में इस्लामी संदेश लिखा हुआ था.इसमें शांति जा पैगाम दिया गया था.इसके साथ ही अकीदतमंदों ने घरों में कुरान ख्वानी, और मिलाद का भी प्रोग्राम आयोजित किया.
दुनिया के मुसलमानों के लिए खास दिन
ईद मिलादुन्नबी दुनियाभर के मुसलमानों के लिए खास दिन है.यह खुशी का दिन है.पैगंबर मुहम्मद साहब को इस्लामी दुनिया में दुनिया के मार्गदर्शक, और दुनिया के निर्माण की वजह माना जाता है.अल्लाह ने इसी मुबारक महीने में हज़रत मुहम्मद साहब को दुनिया से जाहिलियत के अंधेरे से बाहर निकालने के लिए भेजा था.हजरत सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम।पूरी दुनिया के लिए एक आदर्श बनकर आए.आपने अमन (शांति) का पैगाम दिया.आपके जैसा कोई नहीं था, और न दुनिया में आगे आएगा.
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सउदी अरब के मक्का में हुआ जन्म
आपका जन्म ( यौम ए पैदाइश) सऊदी अरब के मक्का शहर में 571 ईसवी में हुआ था.यह इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक तीसरा रबी उल अव्वल का महीना है.आपके दुनिया में आने की खुशी में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है.हजरत मुहम्मद साहब ने ही इस्लाम धर्म की स्थापना की.आप इस्लाम के आखिरी नबी हैं, आपके बाद अब कायामत तक कोई नबी नहीं आने वाला.मक्का की पहाड़ी की गुफा, जिसे गार-ए-हिराह कहते हैं , आपको वहीं पर अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलैहिस्लाम को भेजकर पवित्र संदेश (वही) सुनाई थी.
आपकी शीरत पर लिखी गई लाखों किताब
हजरत मुहम्मद साहब की जिंदगी (शीरत) पर उलमा, और लेखकों ने लाखों किताब लिखीं हैं.दुनिया में आप सबसे आदर्श इंसान थे.अमेरिकी इतिहास कार डॉ. माइकल एच हार्ट ने 1978 में प्रकाशित अपनी किताब ‘दुनिया के इतिहास में 100 सबसे प्रभावशाली लोग’ में लिखा कि पैगम्बर मुहम्मद साहब (स.अ.व.) से ज्यादा प्रभावशाली व्यक्ति इस दुनिया (संसार) में कोई हुआ ही नहीं.इस किताब की 50 लाख प्रतियां बिकी थीं, और इसका कम से कम 15 भाषाओं में अनुवाद किया गया.इस किताब में डॉ. माइकल एच हार्ट ने इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद साहब (स.अ.व.) को प्रथम स्थान पर रखा है.
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आपने दुश्मनों को भी किया माफ
पैगम्बर मुहम्मद साहब को दीनी रोशनी फैलाने के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.जब यह लक्ष्य पूरा हो गया, तो बदतरीन दुश्मनों को भी माफ कर दिया. यहां तक कि उन लोगों को भी माफ कर दिया गया, जिन्होंने आपके चहेते चाचा हजरत हमजा को शहीद (कत्ल) करके उनके शव को विकृत किया (नाक, कान काट लिया) और पेट चीरकर कलेजा निकालकर चबाया था.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद