Gyanvapi Case: हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने शनिवार को संभावना जतायी कि अदालत 25 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई पर अपना आदेश सुना सकती है. हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि ज्ञानवापी परिसर की खुदाई कर भारत पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराने की मांग वाली याचिका पर शनिवार को दीवानी न्यायाधीश युगल किशोर शम्भू की अदालत में सुनवाई हुई. सुनवाई में मुस्लिम पक्ष और वक्फ बोर्ड के अधिवक्ताओं ने अपनी बहस पूरी. हिन्दू पक्ष पहले ही अपनी दलीलें दे चुका है.
मुस्लिम पक्ष ने मामले का शीघ्र निपटान करने की बात कही
मदन मोहन ने बताया कि मुस्लिम पक्ष ने अदालत में हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए मामले का शीघ्र निपटान करने की बात कही. हिंदू पक्ष ने 10 अक्टूबर को मुस्लिम पक्ष ‘अंजुमन इंतजामिया कमेटी’ द्वारा पूरे परिसर के सर्वेक्षण का अनुरोध करने वाली याचिका पर आठ अक्टूबर को दी गई दलीलों के जवाब में अदालत के समक्ष अपनी दलीलें पेश की थीं. उन्होंने बताया कि कमेटी के अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष दलील रखी कि जब हिन्दू पक्ष ने मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट और युप्रीम कोर्ट में किये जाने की अपील की हुई है तब इस मामले पर यहां बहस करने का कोई औचित्य नहीं है.
हिंदू पक्ष की क्या है दलील
अधिवक्ता मदन मोहन यादव के मुताबिक, मुस्लिम पक्ष के वकील ने यह भी कहा कि जब ज्ञानवापी परिसर का एक एएसआई से सर्वे कराया जा चुका तो दोबारा सर्वे कराने का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने बताया कि कमेटी के अधिवक्ता ने कहा कि सर्वे के लिए मस्जिद परिसर में गड्ढा कराया जाना किसी तरह से व्यवहारिक नहीं होगा. इससे मस्जिद को नुकसान पहुंच सकता है. इस पहले हिंदू पक्ष ने दलील दी थी कि ज्योतिर्लिंग का मूल स्थान ज्ञानवापी परिसर में स्थित मस्जिद के गुंबद के नीचे बीच में स्थित है. साथ ही भौगोलिक जल ‘अर्घे’ से लगातार बहता था, जो ज्ञानवापी कुंड में इकट्ठा होता था. उन्होंने इस जल की जल इंजीनियरिंग, भूवैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों के जरिये जांच कराने की मांग की थी.