Janmashtami 2024 : मथुरा में कितने घंटे खुलेगा मंदिर? जानें यहां

Janmashtami 2024 Date: कृष्ण जन्मस्थान मंदिर 26 अगस्त को 20 घंटे के लिए खुला रहेगा. इसकी जानकारी श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान की ओर से दी गई है. जानें और क्या दी गई जानकारी

By Amitabh Kumar | August 24, 2024 10:10 AM
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Janmashtami 2024 Date: प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन मथुरा में खास आयोजन किया जाता है जिसपर पूरे देश के भक्तों की नजर रहती है. श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान की ओर से जो जानकारी दी गई है उसके अनुसार, कृष्ण जन्मस्थान मंदिर 26 अगस्त को यानी आज 20 घंटे के लिए खुला रहेगा. ऐसा इसलिए ताकि भक्त जन्माष्टमी पर बिना किसी परेशानी के दर्शन कर सकें.

कृष्ण जन्मस्थान मंदिर आमतौर पर 12 घंटे खुला रहता है. श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा समिति के सचिव कपिल शर्मा एवं सदस्य गोपेश्वर चतुर्वेदी ने बताया कि मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर भगवान के जन्मोत्सव के विभिन्न कार्यक्रम 24 अगस्त को शुरू हो चुके हैं, जो गुरुवार तक चलेंगे. उन्होंने बताया कि इस बार जन्माष्टमी पर्व से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पुरातन वैभव व स्वरूप प्राप्ति के संकल्प के साथ किया जाएगा.

Janmashtami 2024: कब खुलेगा मथुरा में मंदिर

आगे गोपेश्वर चतुर्वेदी ने जानकारी दी है कि योगेश्वर श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर भगवान का जन्मोत्सव शास्त्रीय मर्यादाओं एवं परंपराओं के अनुसार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तदनुसार दिनांक 26 अगस्त 2024 (सोमवार) को मनाया जाएगा. सोमवार को शहनाई एवं नगाड़ों के सुमधुर वादन के साथ भगवान की मंगला आरती के दर्शन प्रातः 5.30 बजे से होंगे. उसके बाद सुबह 8.00 बजे भगवान का पंचामृत अभिषेक किया जाएगा.

Janmashtami 2024: मथुरा में महाआरती कब होगी

जन्मभिषेक का मुख्य कार्यक्रम रात्रि 11.00 बजे श्रीगणेश-नवग्रह आदि पूजन से शुरू होगा. भगवान के जन्म की महाआरती रात्रि 12.10 बजे तक चलेगी. जन्माष्टमी की शाम श्रीकृष्ण लीला महोत्सव समिति द्वारा भरतपुर गेट से परंपरागत शोभायात्रा निकाली जाएगी जो होलीगेट, छत्ता बाजार, स्वामी घाट, चौक बाजार, मण्डी रामदास, डीग गेट होते हुए श्रीकृष्ण-जन्मस्थान पहुंचेगी. भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को भव्य एवं दिव्य बनाने के लिए सभी तैयारियां एवं व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही हैं. भगवान के श्रृंगार, पोशाक, मंदिर की साज-सज्जा एवं व्यवस्थाएं नयनाभिराम बनाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं.
(इनपुट पीटीआई)

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