Jyanpith Puraskar 2024 : जगद्गुरू रामभद्राचार्य और गुलजार के नाम का हुआ ऐलान, सीएम योगी ने दी बधाई

Jyanpith Puraskar 2024 : रामभद्राचार्य का जन्म 1950 में जौनपुर के खांदीखुर्द गांव में हुआ था. चित्रकूट में रहने वाले रामभद्राचार्य प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं.

By Sandeep kumar | February 18, 2024 11:28 AM

Jyanpith Puraskar 2024 : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जगद्गुरू रामभद्राचार्य और गुलजार को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किये जाने की घोषणा पर हर्ष व्यक्त किया है. उन्होंने संस्कृत विद्वान और तुलसी पीठ के संस्थापक रामभद्राचार्य को अपनी शुभकामनाएं देते हुए अपने सोशल मीडिया पर इसे लेकर पोस्ट किया. सीएम ने लिखा कि पूज्य संत, संस्कृत भाषा के प्रकांड विद्वान व आध्यात्मिक गुरु, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज को प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023 से सम्मानित होने पर हृदयतल से बधाई. आपका तपस्वी और शुचिता पूर्ण जीवन पूरे समाज के लिए एक महान प्रेरणा है. वहीं मुख्यमंत्री ने मशहूर उर्दू शायर गुलजार को अपनी शुभकामनाएं देते हुए लिखा कि प्रख्यात गीतकार, कवि व फिल्मकार गुलजार जी को प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023 से सम्मानित होने पर हार्दिक बधाई. लेखन के प्रति समर्पण और साहित्य जगत में आपका अतुल्य योगदान सभी के लिए प्रेरणाप्रद है.

चयन समिति ने दो नामों का किया ऐलान

बता दें कि 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कारों की घोषणा हो गई है. चयन समिति की ओर से इस वर्ष चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख व संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई है. जन्म के कुछ माह बाद ही जगद्गुरु रामभद्राचार्य के आंखों की रोशनी चली गई थी. 22 भाषाओं के जानकार रामभद्राचार्य ने 100 से ज्यादा पुस्तकें लिखी हैं. भारत सरकार 2015 में इन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित कर चुकी है. रामभद्राचार्य की चर्चित रचनाओं में श्रीभार्गवराघवीयम्, अष्टावक्र, आजादचन्द्रशेखरचरितम्, लघुरघुवरम्, सरयूलहरी, भृंगदूतम् और कुब्जापत्रम् शामिल हैं. वहीं इसके अलावा उर्दू साहित्य के लिए मशहूर शायर गुलजार को भी ज्ञानपीठ पुरस्कारों के लिए चुना गया है. वहीं गुलज़ार वर्तमान समय के बेहतरीन उर्दू कवियों में शुमार हैं. इससे पहले उन्हें उर्दू में अपने काम के लिए 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण, 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार और फिल्मों में अलग-अलग कामों के लिए पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं.

यहां जानें जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बारे में

बता दें कि रामभद्राचार्य का जन्म 1950 में जौनपुर के खांदीखुर्द गांव में हुआ था. चित्रकूट में रहने वाले रामभद्राचार्य प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं. रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्‌गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर 1988 से प्रतिष्ठित हैं. रामभद्राचार्य चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं. बहुभाषाविद् रामभद्राचार्य संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में आशुकवि और रचनाकार हैं. रामभद्राचार्य 22 भाषाएं भी बोलते हैं. आरएन तिवारी ने बताया कि उन्होंने 240 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिन्दी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्‌गीता और प्रधान उपनिषदों) पर संस्कृत भाष्य सम्मिलित हैं. उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है. रामचरितमानस की एक प्रामाणिक प्रति के रामभद्राचार्य सम्पादक हैं, जिसका प्रकाशन तुलसी पीठ ने किया है. 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया है.

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